बरेली: शकील बदायूंनी पुस्तकालय की हालत में सुधार...मगर पाठकों की दरकार

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Published By Vishal Singh
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कुछ रेलकर्मी महज अखबार पढ़ने के लिए आते हैं

बरेली, अमृत विचार। डिजिटल के दौर में लोगों का रुझान पुस्तकों की तरफ कम हुआ है। तमाम पुस्तकालय बदहाल हैं या फिर उन तक पाठक ही नहीं पहुंच रहे हैं। जंक्शन के आरक्षण कार्यालय के पास मौजूद शकील बदायूंनी पुस्तकालय एवं वाचनालय की हालत भी इन दिनों कुछ यही है। पुस्तकालय में पाठकों ने आना ही बंद कर दिया है। कुछ रेल कर्मचारी आते भी हैं तो वह महज अखबार पढ़ने के लिए।

दरअसल, लंबे समय तक यह पुस्तकालय बदहाल पड़ा रहा। सैकड़ों किताबें दीमक चट कर गई।अमृत विचार ने इस मुद्दे को उठाया तो बीते साल जीएम के निरीक्षण से पहले पुस्तकालय की सूरत बदल दी गई। पुस्तकालय की स्थिति सुधरे एक साल से ज्यादा हो चुका है, लेकिन पुस्तकालय के नियमित सदस्यों की संख्या 80 के आसपास ही है। पुस्तकालय खुलने पर इन सदस्यों में से भी शायद ही कोई कभी पुस्तकालय आता हो। स्टेशन अधीक्षक भानु प्रताप सिंह के अनुसार पुस्तकालय खुलने का समय सुबह 10:30 से 11:30 बजे एक घंटे है। निश्चित समय के लिए ही पुस्तकालय को खोला जाता है। अखबार आदि पढ़ने के लिए रेल कर्मचारी आते हैं।

अब तक ऑनलाइन नहीं हुआ पुस्तकालय
मुरादाबाद मंडल के राजभाषा विभाग की ओर से यह पुस्तकालय संचालित किया जा रहा है। यहां मौजूद किताबों को ऑनलाइन करने की योजना बीते साल मार्च में बनाई गई थी। पुस्तकालय में मौजूद तमाम उपन्यास, विज्ञान, रेलवे, महापुरुषों की जीवनी और आत्मकथा से जुड़ी किताबों की सॉफ्ट सूची मंडल को बनाकर भेज भी दी गई थी, लेकिन अब तक पुस्तकालय को ऑनलाइन नहीं किया गया है।

लंबे समय से नहीं मिलीं नई किताबें
पुस्ताकलय में करीब 1700 किताबें हैं। हैरानी की बात है कि लंबे समय से नई किताबें भी पुस्तकालय को राजभाषा विभाग से प्राप्त नहीं हुई हैं। बीते दिनों रेल से जुड़ी इक्का दुक्का किताबें ही प्राप्त हुई थीं। नई किताबें नहीं होने के कारण भी लोगों का रुझान इस पुस्तकालय की तरफ कम हुआ है।

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