कासगंज: संघ की नहीं समाज की है पंचकोसीय परिक्रमा- लावानिया

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Published By Vishal Singh
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पांच लांख से अधिक श्रद्धालुओं को पंचकोसीय परिक्रमा में पहुंचाने का लक्ष्य

कासगंज, अमृत विचार। पंचकोसीय परिक्रमा सिर्फ संघ या किसी विशेष संगठन की नहीं बल्कि समाज की परिक्रमा है। विश्व हिंदू परिषद तो संघ के साथ व्यवस्थाएं बनाने में जुटा है। हमें इस परिक्रमा को सामाजिक परिक्रमा के रूप में देखना होगा और एक साथ आस्था के पथ पर आगे बढ़ना होगा। यह कहना है धर्म जागरण प्रांत प्रमुख दिनेश लवानिया का जो पंचकोसीय परिक्रमा की तैयारियों में जुटे हुए है। 

मंगलवार को संघ के विभाग संघ चालक उमाशंकर शर्मा के आवास पर प्रांत प्रमुख ने पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि सोरों सतयुग का सबसे बड़ा तीर्थ है। तब भी यहां वह विकास नहीं है जो अपेक्षित विकास होना चाहिए। द्वापर के तीर्थ मथुरा में लाखों श्रद्धालु पहुंचते है। सोरों में भी ऐसा माहौल होना चाहिए। मोक्षदायनी एकादशी पर तीर्थ नगरी में विशेष परिक्रमा का आयोजन हो रहा है। 

इस परिक्रमा में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करनी है। पांच लाख लोगों को परिक्रमा में शामिल करने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक पांच सौ बार बैठकें हो चुकी है। प्रमुख साधू-संतों को आमंत्रण भेज दिया गया है। एक समय था जब 60 किलोमीटर तक सोरों क्षेत्र विस्तारित था तब यहां का और भी महत्व था। अब हमें महत्व बरकरार बनाए रखना है। पंचकोसीय परिक्रमा को सामाजिक सद्भाव नाम दिया गया है। 

विभाग संघ चालक उमाशंकर शर्मा ने कहा कि अब यह  जागरूकता बढ़ रही है। प्रत्येक एकादशी को सोरों में पंचकोसीय परिक्रमा लगती है। यदि पंचकोसीय परिक्रमा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी तो इससे सोरों का विकास होगा। पर्यटन विभाग के साथ भी बैठक की जा चुकी है। परिक्रमा संयोजक एवं संघ बौद्धिक प्रमुख डा. राधाकृष्ण दीक्षित ने सोरों को महत्व बताया और परिक्रमा की तैयारियां गिनाई। विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री विनयराज पन्नू भी मौजूद रहे।

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