रायबरेली: 3028 टीम घर-घर खोजेंगी कुष्ठ रोगी, बनाए गए 594 सुपरवाइजर
रायबरेली, अमृत विचार। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को कुष्ठ मुक्त करने के लिए 21 दिसंबर यानी गुरुवार से चार जनवरी तक सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत 3028 टीमें काम करेंगी जो घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की स्क्रीनिंग और इसके लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षण, जांच एवं इलाज के बारे में भी जागरूक करेंगी।
यह अभियान पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर चलेगा। टीमों की निगरानी करने के लिए 594 सुपरवाइजर बनाए गए हैं। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ दशरथ यादव ने कहा कि 21 दिसंबर से शुरू होने वाले सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में सहित पूरे जनपद में चलेगा।
टीम में आशा कार्यकर्ता और पुरुष सहयोगी होंगे जो कि घर-घर जाकर संभावित लक्षणों वाले कुष्ठ रोगियों को चिन्हित करेंगे। आशा कार्यकर्ता द्वारा महिलाओं की और पुरुष कार्यकर्ता द्वारा पुरुषों की जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जिन क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता नहीं हैं, वहां पर स्वयं सेवकों की टीमें बनाई जा रहीं हैं। वर्तमान में जनपद में कुष्ठ के 198 मरीज हैं।
उप जिला कुष्ठ अधिकारी डॉक्टर शरद कुमार कुशवाहा बताते हैं कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है। कुष्ठ से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी निशुल्क की जाती है। इलाज पूरा होने के बाद मरीज को श्रम ह्रास के रूप में 12,000 रुपए तीन किश्तों में दिए जाते हैं।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी एस अस्थाना बताते है कि कुष्ठ एक संक्रामक रोग है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है। यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। सभी संक्रामक रोगों में कुष्ठ रोग अत्यधिक घातक है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है एवं इस रूप में विशेष रुप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है। कहा कि कुष्ठ को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं। इनको जागरूकता के द्वारा ही दूर किया जा सकता है। इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों में इन भ्रांतियों को दूर करें और उन्हें जागरूक करें।
कुष्ठ रोग के लक्षणों की जानकारी देते हुए सुपरवाइजर अवधेश सिंह ने बताया कि शरीर पर हल्के अथवा तांबई रंग के चकत्ते हों और उनमें सुन्नपन हो तो यह कुष्ठ हो सकता है। ऐसे हिस्से पर ठंडा या गरम का एहसास नहीं होता है। रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व शांति से होती है।
