गोरखनाथ विश्वविद्यालय में चावल की प्रजातियों पर होगी रिसर्च, IRRI से किया एमओयू
गोरखपुर, अमृत विचार। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम गोरखपुर की उपलब्धियों की किताब में एक नया अध्याय जुड़ गया है। चावल अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के साथ एमओयू समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया है। इस एमओयू से कालानमक समेत चावल की अन्य प्रजातियों पर रिसर्च की दिशा में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और इरी मिलकर काम करेंगे।
इस अवसर पर कुलपति डॉ. अतुल वाजपेयी ने इरी के साथ हुए एमओयू का स्वागत करते हुए इसे कृषि अनुसंधान और संबद्ध विज्ञान के विभिन्न विषयों में शैक्षणिक, अनुसंधान, और प्रशिक्षण गतिविधियों के प्रचार और साझा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए उच्च पैदावार प्राप्त करने की इरी की योजना के लिए मजबूत समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
एमओयू से कालानमक व अन्य पारंपरिक किस्मों को मिलेगा बढ़ावा : डॉ. सुधांशु
एमओयू के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान की ओर से डॉ. सुधांशु सिंह ने कौशल विकास कार्यक्रमों, अनुसंधान और विकास पहल के माध्यम से चावल आधारित खाद्य प्रणालियों की उत्पादकता बढ़ाने की योजना साझा की। उन्होंने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय बाढ़-प्रवण पारिस्थितिकी वाले राज्य के गोरखपुर जिले में स्थित है और कालानमक की खेती के लिए जीआई टैग प्राप्त है। समझौता ज्ञापन जीआई क्षेत्र में तनाव-सहिष्णु चावल की किस्मों के साथ-साथ बेहतर कालानमक के मूल्यांकन में मदद करेगा। यह एमओयू कालानमक और अन्य पारंपरिक किस्मों को बढ़ावा देगा और इन किस्मों से आईसार्क द्वारा विकसित मूल्य-आधारित उत्पादों का व्यावसायीकरण करेगा। डॉ. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय चावल उत्पादों के व्यावसायीकरण के लिए संयुक्त उद्यम के लिए आईसार्क और क्षेत्र के उद्यमियों के बीच एक कड़ी के रूप में भी काम कर सकता है।
समझौता करार का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि यह एमओयू पूर्वांचल के किसानों को खाद्य के क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनाने में सहायक होगा। एमओयू के आदान प्रदान के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, कृषि संकाय के डीन डॉ. विमल दूबे, आईसार्क के वैज्ञानिक डॉ. एंथनी फुलफोर्ड और डॉ. आशीष श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे।
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