पीलीभीत: धान खरीद से जुड़े राइस मिलर्स परेशान, बोले- बस इस बार हो जाए सीएमआर का उतार, फिर तो कर लेंगे तौबा

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत/पूरनपुर, अमृत विचार। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ललौरीखेड़ा गोदाम पर पूरनपुर के राइस मिलर्स को चावल की सीएमआर उतारना काफी महंगा पड़ रहा है। बताते हैं कि गोदाम से एक राइस मिल का छह ट्रक चावल रिजेक्ट हो गया। छह गाड़ी चावल रिजेक्ट होने से राइस मिलर घबरा गए हैं। 

एक तरफ सीएमआर उतारने का दबाव दूसरी ओर चावल का रिजेक्ट होना। उलझन में फंसे राइस मिल मालिक की आंखें भर आईं। कुछ ने तो ये भी कह दिया कि किसी तरह से इस बार चावल उतर जाए। आइंदा, सरकारी खरीद प्रक्रिया से ही तौबा कर लेंगे। बहरहाल, अब दूसरी मिलों की मदद से उनकी सीएमआर उतारने की प्रक्रिया चल रही है।

सरकारी क्रय केंद्रों पर जो धान खरीदा जा रहा है। खरीद प्रक्रिया से जुड़ीं राइस मिलें उसका चावल सरकार को देती हैं। ये चावल एफसीआई के गोदामों में जमा हो रहा है। इस बार पूरनपुर की रम्पुरा और जसवंती राइस मिल परिसर स्थित गोदामें पहले से ही फुल हैं। यहां पंजाब का गेहूं भरा है। गोदाम और चावल के लिए जगह आवंटन की प्रक्रिया ऑनलाइन है। 

विंग्स पोर्टल के माध्यम से राइस मिलर धान के एवज में सरकार को चावल दे रहे हैं। नवंबर में पूरनपुर क्षेत्र का चावल जब ललौरीखेड़ा गोदाम पर पहुंचा था। इसके विरोध में पीलीभीत राइस मिलर्स एसोसिएशन धरने पर बैठ गई थी। विवाद के बाद करीब दो दर्जन ट्रक चावल लेकर लौट आए थे। आखिर में रम्पुरा और जसवंती मिल में चावल जमा किया गया था। विवाद थमने के बाद पूरनपुर से ललौरीखेड़ा गोदाम पर चावल भंडारण का सिलसिला जारी है।

 मिलर्स के मुताबिक, ललौरीखेड़ा में चावल ले जाना मजबूरी है। गोदाम और स्पेस सब कुछ ऑनलाइन आवंटित होता है। रम्पुरा और जसवंती में जगह कम है। इस स्थिति में ललौरीखेड़ा ही विकल्प है। वहां चावल भेजने में ज्यादा खर्च आता है। ऐसे में अगर एक गाड़ी चावल रिजेक्ट होता है, तो 20 से 25 हजार रुपये का अकेले ट्रांसपोर्ट का नुकसान होता है। बाकी खर्चे और समस्याएं अलग हैं।

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