अयोध्या शोध संस्थान का बदला नाम

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Published By Jagat Mishra
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अयोध्या, अमृत विचार। राम नगरी में संस्कृति विभाग द्वारा संचालित अयोध्या शोध संस्थान का नाम बदलकर अंतरराष्ट्रीय रामायण व वैदिक शोध संस्थान कर दिया गया है। संस्थान के निदेशक लवकुश द्विवेदी ने बुधवार को बताया कि शासन की मंशा थी कि रामायण की जो परंपराएं हैं उनकी जड़ें सनातन वैदिक संस्कृति है। इसलिए पहले अपनी जड़ों से इसकी खोज करें और पूरी दुनिया में जितनी तरीके से रामायण लिखी गई हैं। जो प्रचलन में हो, ज्ञात हो या अज्ञात हो। उन सभी पर शोध किया जाए और उनको अयोध्या के पुस्तकालय में रखा जाए, जिससे उन पर शोध किया जा सके और लोग उसे जान सकें। 
  
अयोध्या में संस्कृत विभाग द्वारा 18 अगस्त 1986 में अयोध्या शोध संस्थान की स्थापना की गई थी। जिसमें एक श्रीराम साहित्य और धर्म दर्शन पर ग्रंथालय बनाया गया था। लोग दूर-दूर से शोध करने के लिए लोग पहुंचते थे। इसके साथ ही एक शिल्प संग्रहालय का भी निर्माण कराया गया। जिसमे वस्त्र मंत्रालय भारत के सहयोग से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में धात, चमड़ा, कागज, लकड़ी, पत्थर, मेटल से बने सामग्रियों का संग्रह किया गया है।जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, सूरीनाम, श्रीलंका और भारत के विभिन्न परंपराओं की शिल्प सामग्री हैं।

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