गंगा नदी में होगी डॉल्फिन की तलाश, पानी बनेंगे घरौंदे, अलीगढ़ से कासगंज तक जगह-जगह लगाए जाएंगे वॉच टॉवर
डब्लूडब्लूएफ और वन विभाग ने संयुक्त रूप से योजना बनाकर भेजा प्रस्ताव
गजेंद्र चौहान, कासगंज, अमृत विचार : जिले में तमाम गतविधियों की संभावनाएं छिपी हुई है। तभी तो आए दिन जिला किसी न किसी गतविधियों को लेकर प्रदेश भर में सुर्खियों में रहता है। अब यहां राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन को तलाश जा रहा है। पूर्व में डॉल्फिन का परिवार हजारा गंग नहर में कई दिनों तक ठहरा रहा और गंगा नदी में भी तमाम डॉल्फिन होने के संकेत मिले।
इसको लेकर विशेष कार्य योजना बनाइ गई है। पानी की गहराई में डॉल्फिन के ठहरने की संभानाएं तलाशी जाएंगी। सर्वे शुरू कर दिया गया है। डाल्फिन तो देखी ही होगी। उसकी अठखेलियां देखने के लिए दूसरे जिले -प्रदेश नहीं जाना होगा। यह नजारा जिले से कासगंज तक गंगा किनारे वाच टावर से देख सकेंगे।
इसे डाल्फिन संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया है। तीन साल तक सतत निगरानी के बाद सेंचुरी के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके लिए सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। करीब पौने चार करोड़ की राशि इस पर खर्च होगी।
पहले भी कराया गया सर्वे : बुलंदहशर व बिजनौर में पहले से ही इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इससे सटे अलीगढ़ के 17 किलोमीटर क्षेत्र से होती हुई गंगा नदी कासंगज से जुड़ी है। यहां इसका क्षेत्र 72 किलोमीटर है। कुल 89 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में गंगा का पानी साफ है। अलीगढ़-कासगंज में कहीं भी गंगा प्रदूषित नहीं हो रही है।
साफ पानी का क्षेत्र ही डॉल्फिन की पहली पसंद होता है। यहां मछुआरे भी नहीं हैं। छह महीने पहले वन विभाग की ओर से अलीगढ़ व कासगंज क्षेत्र में सर्वे कराया गया। इसमें बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई गईं। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। इस संबंध में राज्य सरकार ने भी वन विभाग को निर्देश दिए हैं। अब फिर से नए सिरे सर्वे हो रहा है। डब्लूडब्लूएफ और वन विभाग इस काम में जुटा हुआ है।
करोड़ों का है प्रस्ताव: अलीगढ़ व कासगंज में डॉल्फिन संरक्षण के लिए पौने चार करोड़ का प्रस्ताव वन विभाग ने बनाया है। इससे चार वॉच टॉवर बनवाए जाएंगे। स्टीमर, नाव समेत अन्य उपकरण खरीदे जाएंगे। गंगा किनारे के लोगों को संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। वन विभाग, मत्स्य विभाग व ग्राम्य विकास विभाग के अफसरों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
वर्ष 2009 में घोषित हुई थी जलीय जीव: डॉल्फिन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। 2009 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसके बाद से देश भर में गंगा डॉल्फिन के लिए सर्वे कराया जा रहा है। कासगंज में सबसे अधिक गतविधियां देखने को मिल रही है।
अलीगढ़ में बनेगा मुख्य केंद्र: अलीगढ़ किस्तौली में डॉल्फिन संरक्षण का मुख्य केंद्र बनेगा। इसके अलावा किस्तौली और गनेशपुर में दो वाच टॉव बनेंगे। कासगंज के दतलाना और पटियाली के कादरगंज में भी दो वॉच टॉवर बनाए जाएंगे।
डॉल्फिन संरक्षण के लिए पहले ही सर्वे कराया गया था। पानी की गहराई में डॉल्फिन रहती है। सबसे अधिक गहराई कादरगंज गंगा में है। यहां अधिक संभावना रहेगी। - राजेश बाजपेयी, वरिष्ठ कोर्डीनेटर डब्लूडब्लूएफ कानपुर
हमनें कासगंज और अलीगढ़ के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। इन दोनों ही जिलों में डॉल्फिन संरक्षण की तमाम संभावनाएं है। वॉच टॉवर बनेंगे और मुख्य केंद्र भी बनेगा। - दिवाकर वशिष्ठ, प्रभागीय निदेशक वन विभाग अलीगढ़
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