बरेली: पीएमओ ने कहा डोर टू डोर प्रकरण की कराएं जांच तो हो रही विजिलेंस जांच

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। गुजरात की तर्ज पर बरेली में शुरू की गई डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना में करोड़ों का गोलमाल हुआ है। नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के गठजोड़ ने फर्जी रसीदों के जरिए जोन-3 में लोगों से यूजर चार्ज के रूप में यह रकम वसूल की लेकिन जमा करने के बजाय हड़प गए।

ठेका लेने वाली एजेंसी ने यह गड़बड़ी पकड़ी, लेकिन अफसरों का दबाव पड़ा तो चुप्पी साध ली। पिछले दिनों एक शिकायत के बाद पीएमओ ने राज्य सरकार को जांच का आदेश दिया। इसके बाद विजिलेंस जांच शुरू हो गई है।

डोर टू डोर में इस गोलमाल का प्रमुख मोहरा नगर निगम का एक बाबू बताया जा रहा है। पिछले साल नवंबर में सुभाषनगर के वीरभट्टी इलाके के अजय चौहान की ओर से इस गोलमार की शिकायत पहले नगर निगम के अफसरों से ही की थी लेकिन उसे नजरंदाज कर दिया गया। गोलमाल भी नहीं रुका। लंबे इंतजार के बाद दो महीने पहले उन्होंने इस मामले में पीएमओ और मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी। 

पीएमओ ने उनकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए पिछले दिनों राज्य सरकार के नगर विकास विभाग को जांच कराकर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया तो लखनऊ से बरेली तक हलचल शुरू हो गई। शासन के विशेष सचिव कल्याण बनर्जी को रिपोर्ट भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है।

इसके साथ शासन के निर्देश पर इस गोलमाल की विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। विजिलेंस के डिप्टी एसपी ने 28 नवंबर को नगर आयुक्त को पत्र भेजकर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के रिकॉर्ड के साथ रिपोर्ट मांगी लेकिन अब तक यह रिपोर्ट दी नहीं गई है। 

शिकायतकर्ता अजय चौहान के मुताबिक नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में बरसों से तैनात बाबू को अफसरों ने साठगांठ के तहत ठेकेदारों के बिल पास करने की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद उसने जोन -3 में अपने भाई को नौकरी पर लगवाया और वहां उसेस डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के यूजर चार्ज की वसूली कराई। इसके बाद खेल शुरू हो गया। फर्जी रसीदें छपवाकर लंबे समय तक यूजर चार्ज की वसूली की गई और नगर निगम के खाते में एक भी पैसा जमा नहीं किया गया।

जोन- 3 के जेएसओ कई महीने से नदारद
शासन की ओर से रिपोर्ट मांगे जाने और विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद नगर निगम में हलचल शुरू हुई तो पता चला कि जोन- 3 की जिम्मेदारी संभाल रहे जेडएसओ कई महीने से अवकाश पर हैं। सफाई के ठेकेदारों पर बगैर नोटिस जुर्माना डालने के लिए चर्चित यह जेडएसओ के कार्यकाल में यह गोलमाल होने की बात कही जा रही है। इस मामले में उनकी ओर से कोई कार्रवाई भी नहीं की गई।

गोलमाल खुलने के बाद हुई पंचायत, नगर निगम चुनाव के बहाने साध ली गई चुप्पी
बता दें की डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का जब ठेका हुआ था, तब घोषणा की गई थी कि यूजर चार्ज की वसूली एप के जरिए होगी, लेकिन ठेका होने के बाद यह घोषणा किसी को याद नहीं रही। बाबू के भाई के फर्जी रसीद छपवाकर वसूली करने का मामला खुला तो इस साठगांठ में शामिल लोगों की पंचायत भी हुई। 

बताया जा रहा है कि ठेका लेने वाली फर्म के प्रतिनिधि की मौजूदगी में इस दौरान काफी गर्मागर्मी भी हुई। फर्म के प्रतिनिधि ने गोलमाल में शामिल लोगों से लिखित मांगा कि भविष्य में अनियमितता नहीं होगी। लंबी बहस के बाद नगर निगम के चुनाव का हवाला दिया गया। तय हुआ कि चुनाव होने तक इस मामले को तूल न दिया जाए। यह भी कहा गया कि फर्जीवाड़ा खुला तो बाबू की नौकरी चली जाएगी।

महीने भर से रिपोर्ट देने में टालमटोल कर रहे अपर नगर आयुक्त को दी चेतावनी
विजिलेंस के डिप्टी एसपी की ओर से 28 नवंबर को नगर आयुक्त को पत्र लिखे जाने के बाद उन्होंने उसी दिन अपर नगर आयुक्त को पत्र जारी कर दिया। इसमें कहा गया था कि अजय चौहान की ओर से की गई शिकायत में नगर के बाबू सुमित कुमार के विरुद्ध डोर टू डोर सेवा प्रदाता एजेंसियों की साठगांठ से व्यक्तिगत लाभ अर्जित करने के आरोप लगाए गए हैं और इस संबंध में तथ्य भी दिए गए हैं। 

नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त से सात दिन में रिपोर्ट मांगी लेकिन उन्होंने अब तक रिपोर्ट नहीं दी है। पिछले दिनों नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त को तीन दिन में रिपोर्ट न देने पर शासन को रिपोर्ट भेजने की चेतावनी दी। अब 29 दिसंबर को अपर नगर आयुक्त ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी पत्र लिखकर रिपोर्ट देने को कहा है। फिलहाल रिपोर्ट देने का मामला भी लटका हुआ है।

विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद शिकायतकर्ता को लिखा पत्र
नवंबर में विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद नगर निगम के अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने की कोशिश शुरू कर दी। तभी उन्हें अजय चौहान की कई महीने पहले की गई शिकायत को लेकर होश आया। 12 दिसंबर को नगर स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से शिकायतकर्ता अजय चौहान को पत्र भेजा गया जिसमें बताया गया है कि संदर्भ संख्या 60000230235787 पर उनकी डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में हो रही अनियमितता की शिकायत पर विभागीय जांच चल रही है। एजेंसियों और बाबू से जवाब मांगा गया है। जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी।

चलाया गया डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन बरेली आकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। जनता से करोड़ों रुपया वसूल कर निगम में जमा नहीं किया गया है। वहीं शहर में काम कर रही एक अन्य एजेंसी में निगम के एक कर्मचारी ने अपने भाई को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिलवाकर जनता से अवैध रसीदों के जरिए वसूली करवा डाली है। एजेंसी ने यह अनियमितता पकड़ी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। 

इस भ्रष्टाचार की शिकायत को नगर निगम में कुछ अफसर अपने स्तर से दबाते रहे। मेयर और नगर आयुक्त से वास्तविकता बताने वालों को धमकाया गया तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेज दिया गया। इसके बाद जब पीएमओ से पत्र आया तो लखनऊ से लेकर बरेली तक हलचल मची है। माना जा रहा है कि वित्तीय अनियमितता और सरकारी सेवकों की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार पर पीएमओ ने संज्ञान लिया तो डोर टू डोर प्रकरण की विजिलेंस जांच शुरु हो गई है।

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