ब्रेन डेड डोनर मेंटेनेंस पैकेज की होगी शुरुआत, अंग प्रत्यारोपण की राह देख रहे मरीजों की मुश्किल होगी आसान

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Published By Deepak Mishra
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नीति आयोग से मिली हरी झंडी

विरेंद्र पांडेय/लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण की राह देख रहे मरीजों की मुश्किलें आसान होगी।  ब्रेन डेड डोनर मेंटेनेंस पैकेज की सहमति नीति आयोग ने दे दी है। ब्रेन डेड दाता मेंटेनेंस पैकेज आयुष्मान भारत योजना के तहत दिया जाएगा। 

दरअसल,भारत में प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों और उपलब्ध अंगों के बीच एक बड़ा अंतर है। एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रति वर्ष लगभग 2 लाख मरीज़ों की लिवर फेल्योर या लिवर कैंसर से मृत्यु हो जाती है, जिनमें से लगभग 10-15 प्रतिशत को समय रहते लिवर प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता था। भारत में वार्षिक रूप से लगभग 25-30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन केवल 1,500 प्रत्यारोपण ही हो पा रहे है। 

वहीं भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500,000 व्यक्ति  हार्ट फ़ेल  से पीड़ित होते हैं, लेकिन हर साल केवल 10-15 हृदय प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं। पूरे भारत में लोगों को किडनी, लिवर, हृदय, कॉर्निया और फेफड़े के प्रत्यारोपण की अत्यधिक आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) ने अंग प्रत्यारोपण की राह देख रहे मरीजों की मुश्किल आसान करने के लिए एक और पहल की थी। इस पहल के तहत सोटो ने  ब्रेन डेड डोनर मेंटेनेंस पैकेज को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की अपील सरकार से की थी। इसके बाद नीति आयोग ने अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

उत्तर प्रदेश राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर राजेश हर्षवर्धन ने बताया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थी मरीज का इलाज निशुल्क होता है, लेकिन ब्रेन डेड अवस्था में पहुंचने के बाद के खर्च इस योजना के तहत निशुल्क नहीं हो पाते हैं। 

उन्होंने बताया कि जीवन रक्षक प्रत्यारोपण के लिए ब्रेन डेथ मरीज के अंगों को सुरक्षित रखने के लिए कृत्रिम तरीकों को अपनाना पड़ता है यानी की  ब्रेन डेड दाता के शरीर को आईसीयू में रखना पड़ता है। जिसका खर्च मस्तिष्क मृत मरीज के परिजन नहीं उठा पाते हैं।

ऐसे में कई बार ब्रेन डेड मरीज के परिजन चाह कर भी अंगदान प्रक्रिया से मजबूरी में दूर हो जाते हैं, जिससे अंग प्रत्यारोपण की राह देख रहे मरीजों को नई जिंदगी देने में मुश्किलें आ रही हैं। ब्रेन डेड दाता मेंटेनेंस पैकेज मिलने पर आईसीयू का खर्च भी निशुल्क हो जाएगा और ब्रेन डेड मरीज के परिवार के सदस्यों को अंगदान का विकल्प चुनने में आसानी होगी।

प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि अंग और ऊतक दान के क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान में निरंतर प्रगति के साथ अब यह स्थापित हो गया है कि एक व्यक्ति के अंगदान से 8 लोगों की जान बच सकती है और ऊतक दान से लगभग 75 व्यक्तियों के जीवन में सुधार होता है। इसके साथ ही अंग दाताओं की कमी के कारण प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की प्रतीक्षा सूची में भी वृद्धि हुई है। ऐसे में जागरुकता से ही इस कमी को दूर किया जा सकता और लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

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