बरेली: मकर संक्रांति पर पतंग और मांझे की मांग, तैयारी में जुटे कारीगर

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Published By Vikas Babu
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राजस्थान, गुजरात, एमपी, यूपी, बिहार, उत्तराखंड में मोदी और योगी के नाम के मांझे की मांग अधिक

बरेली, अमृत विचार: मकर संक्रांति पर पतंग और मांझा की सप्लाई पूरी करने की तैयारी में कारीगर जुटे हुए हैं। कारोबारियों के अनुसार इस बार प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में मांझा और पतंग की मांग पहले के मुकाबले 40 प्रतिशत अधिक है।

कारीगरों के अनुसार जब से चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक लगी है, तब से जिले के मांझे की मांग कई राज्यों में बढ़ गई है। बरेली के मांझे की धार और मजबूती अन्य से बेहतर होती है। साथ ही इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती है।

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किला के रेती इलाके के रेहान अली ने बताया कि इस बार प्रदेश के साथ ही गुजरात, एमपी, यूपी, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से अलावा जम्मू कश्मीर तक से बरेली की पतंग और मांझे की डिमांड आई है। उन्होंने बताया कि इन राज्यों के लिए करीब 150 करोड़ का माल तैयार किया जा रहा है। जिसकी सप्लाई को इस सप्ताह के अंत तक पूरा किया जाएगा। सबसे ज्यादा मांग जयपुर से है।

रेती के कारोबारी गुलफाम सलमानी ने बताया कि लखनऊ में बड़े पैमाने पर पतंग और मांझे का कारोबार होता है, इसके बावजूद भी बरेली के मांझे के साथ ही पतंग की भी भारी मांग आई है। जयपुर में पतंग महोत्सव की तैयारियों के लिए पतंगें तैयार की जा रही हैं। इसमें मोदी-योगी नाम के पतंग की मांग ज्यादा बनी हुई है। जिले में बड़ी संख्या में सीबीगंज, किला व मिनी बाईपास पर मांझा तैयार किया जाता है। यहां के मांझे की गुणवत्ता अच्छी होती है, इसलिए मांग ज्याता रहती है। मांझा तैयार करने में कारीगरों की अंगुलियां तक जख्मी हो जाती हैं।

10 हजार कारीगर मांझा और 15 हजार बनाते हैं पतंग
मांझा कारोबारी इनाम अली ने बताया कि जिले में पतंग व मांझा व्यापार से जुड़े करीब 220-250 छोटे-बड़े कारोबारी हैं। करीब 10 हजार से अधिक कारीगर मांझा और 15 हजार से अधिक कारीगर पतंग बनाने का काम करते हैं। इसके साथ ही कागज काटना, सींक से कमानी तैयार करना, पतंग में कमानी लगाने का काम शामिल है। मांझा बनाने में भी कई परिवार शामिल होते हैं।

गुणवत्ता के अनुरूप बिक्री होता है मांझा
किला के मांझा कारीगर आरिफ ने बताया कि मांझा गुणवत्ता के अनुसार बिक्री होता है। जिसमें मांझा छह कॉर्ड का होता है। यह छह छोटे और पतले धागों को मिलाकर बनाया जाता है। कम हवा में भी इस मांझे से बड़ी आसानी से पतंगें उड़ती हैं। इसकी मांग ज्यादातर मैदानी इलाकों में होती है। दूसरा मांझा नौ कॉर्ड का बनाया जाता है।

नौ धागों को जोड़कर बनाया गया यह मांझा सबसे अच्छा होता है। इसमें धार भी अच्छी होती है, जो पेच लड़ाने में अच्छा माना जाता है। यह किसी भी तरह की हवा में पतंग को उड़ा सकता है। 12 कॉर्ड का भी मांझा बनाया जाता है। इसे 12 धागों को जोड़कर बनाया जाता है, जो बड़े पतंगों को तेज हवा के झोकों में उड़ाने में सहायक होता है।

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