कासगंज: जवान आंखों ने देखा था सपना, बूढ़ी आंखे होते देख रहीं साकार
कार सेवकों की आंखों में दिख रही चमक उत्साह से लबलेज, 1992 में बाबरी विध्वंस के आंदोलन में दर्जनों रामभक्तों ने लिया था हिस्सा
कासगंज, अमृत विचार : अब जब भगवान श्रीराम के अयोध्या में बने मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जाने जा रही है तो 1992 में बाबरी विध्वंस के आंदोलन में शामिल हुए रामभक्तों की आंखें चमक उत्साह से लबलेज दिखाई दे रही हैं। जवान आंखों ने राम मंदिर निर्माण का सपना देखा था अब बूढ़ी आंखें इस सपने को साकार होते देख रही हैं।
1992 का वह दौर जब भगवान राम मंदिर के लिए देश भर में एक बड़ा आंदोलन जोड़ा था। विश्व हिंदू परिषद के नायब अशोक सिंघल के नेतृत्व में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के लिए राम भक्तों का सैलाब उमड़ा था तो शहर में बड़े स्तर पर लोगों ने जन आंदोलन छेड़ा था। गली गली से राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे के उद्घोष सुनाई दे रहे थे।
छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुए आंदोलन में शामिल होने के लिए कासगंज से बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या गए थे और बाबरी विध्वंस में हिस्सा लिया था। उस समय युवा रहे तमाम राम भक्त आज 60 की उम्र पूरी कर चुके हैं।
इन युवाओं ने आंदोलन में भाग लेते समय भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण एवं मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का सपना अपनी युवा आंखों से देखा अब उनकी बूढ़ी आंखों जब इस सपने को साकार होते देख रही हैं तो कार्यसेवक उत्साह से लबलेज दिखाई दे रहे हैं। उनकी आंखों में चमक है।
पुलिस का कड़ा पहरा था। छिपते छिपाते किसी भी तरह अयोध्या पहुंचे। बस एक ही सपना था कि राम मंदिर बने। अब वह पूरा हो रहा है। हसरत पूरी हुई है। - मुन्नालाल आर्य, कार सेवक
राम मंदिर निर्माण के लिए जब जब आंदोलन हुआ तब तब बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। राम मंदिर निर्माण का सपना देखा था। अब पूरा हुआ है। खुशी का विषय है। - पुरुषोत्तम भारद्वाज, कार सेवक
1992, छह दिसंबर का दिन गौरवशाली दिन था। 22 जनवरी का दिन भी देश के लिए गौरवशाली होगा। मैं उन दिनों जिला एटा का कार्य सेवा प्रमुख था। कासगंज एटा जिला में शामिल था। - मुकेश माहेश्वरी, कार सेवक
मुन्नालाल भारद्वाज के नेतृत्व में कार सेवकों के जत्थे में मैं शमिल हुआ। अयोध्या में गुबद गिराने में हमने भी उत्साह दिखाया था। अब मंदिर निर्माण से अपना सपना पूरा हुआ है।-अरविंद माहेश्वरी
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