राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए मथुरा में महायज्ञ
मथुरा। अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निर्विघ्न सम्पन्न होने की कामना के साथ कान्हा नगरी मथुरा के काली मन्दिर में 12 जनवरी से पंचकुंडीय सहस्त्रचण्डी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह यज्ञ हर साल विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए यानी सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय के लिए आयोजित किया जाता है लेकिन इस वर्ष यह यज्ञ राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ गया है।
यज्ञ वास्तव में 13 जनवरी से शुरु होकर 20 जनवरी तक चलेगा मगर मथुरा की धार्मिक परंपरा के अनुसार 12 जनवरी को यमुना पूजन होगा जिसमें यमुना का पंचामृत अभिषेक होगा तथा यमुना को उसी दिन चुनरी धारण कराई जाएगी जिसे चुनरी मनोरथ कहते हैं। इसमें लगभग 125 धोतियों या साड़ियों को यमुना को धारण कराया जाएगा। मान्यता है कि यमुना पूजन से सभी कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पन्न होते हें।
काली मन्दिर मथुरा कैन्ट के महन्त आचार्य दिनेश चतुर्वेदी ने बताया कि चुनरी मनोरथ के बाद शोभा यात्रा यानी महिलाओं की कलश यात्रा विश्राम घाट से 12 जनवरी को 11 बजे चलेगी जो काली मन्दिर मथुरा कैण्ट में समाप्त होगी। उनका कहना था कि चुनरी मनोरथ को पूरा करने में बहुत समय लगता हैं। उन्होंने बताया कि पंचकुंडीय महायज्ञ में चार कुुडों में वाह्य रूप से अग्नि प्रज्वलित होती है और पांचवां कुंड सूर्यदेव का होता है। इसके बाद पांच आंतरिक अग्नि काम, क्रोध, मद, मोह और लोभ को मानव से निकालने के लिए प्रज्वलितं किया जाता है।
इसे पशुपति विराट भी कहा जाता है क्योंकि ये पांच आंतरिक अग्नि पशु प्रवृत्ति की होती हैं तथा मनुष्य से इनके निकल जाने पर उसके उद्देश्य की पूर्ति होना निश्चित रहता है। चर्तुवेदी ने बताया कि सहस्त्र चंण्डी महायज्ञ असुर और राक्षस प्रवृत्ति के मनुष्यों की दुर्भावना को दूर करने के लिए किया जाता है। राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा में यह प्रवृत्तियां बाधक न बने इसलिए इस बार यह यज्ञ इसी कार्य के लिए समर्पित किया गया है। उन्होंने बताया कि सत्ता बल, धन बल, शरीर बल, मनो बल, शस्त्र बल, विद्या बल आदि आवश्यक उद्दश्यों की पूर्ति के लिए सहस्त्र चण्डी यज्ञ के महत्व को धर्म ग्रन्थों में बताया गया है । लोगों की सामूहिक इच्छा को पूरा करने के लिए भी इस यज्ञ को किया जाता है।
महन्त चतुर्वेदी ने बताया असली यज्ञ 13 जनवरी से होगा जब सूर्य भगवान उत्तरायण होंगे। 45 विद्वान पंडित बैठेंगे तथा दुर्गा सप्तसती के तीन पाठ का वाचन नित्य होगा। अगले दिन सुबह से यज्ञ कुंड में पूजन अर्चन तथा दुर्गा सप्तसती के दो पाठ का वाचन सुबह और एक का शाम को नित्य होगा।
यह क्रम 19 जनवरी तक चलेगा तथा 20 जनवरी को दुर्गा सप्तसती के एक पाठ का वाचन होगा साथ ही पूर्णाहुति एवं हवन कार्यक्रम होगा जिसमें जो देवी देवता जाने अनजाने किसी कारण से रह गए हैं उनकी आहुतिया डाली जाएंगी और उपस्थित समुदाय द्वारा देवी से सामूहिक रूप से प्रार्थना की जाएगी कि राम मन्दिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह निर्विघ्न सम्पन्न हो । 20 जनवरी को ही शाम को सामूहिक भंडारे के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।
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