टनकपुर: पांडव स्थली ब्यानधुरा मंदिर यहां तीर कमान से सधते हैं लक्ष्य
देवेन्द्र चन्द देवा, टनकपुर, अमृत विचार। आध्यात्मिक स्थलों की लंबी श्रृंखला के चलते उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। इस कड़ी में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है ब्यानधुरा का मंदिर। कभी पांडवों की शरणस्थली रहे इस मंदिर में श्रद्धालु मन्नतों के लिए धनुष बाण चढ़ाते हैं। देश के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम के चरण स्थल टनकपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर सुप्रसिद्ध ब्यानधुरा मंदिर स्थापित है।
निराकार देव की उपासना एवं प्रमुख सिद्ध पीठ होने से यह मंदिर छत रहित है। यूं तो इस मंदिर में दूर- दराज से श्रद्धालु अपने शीश नवाने यहां पहुंचते हैं लेकिन उत्तरायणी मकर संक्रांति पर्व पर इस ऐडी देवता का ब्यानधुरा धाम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का एकाएक सैलाब उमड़ पड़ता है।
इसके अलावा बैशाखी, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर्वों पर मनोकामना को साकार करने के लिए अखंड ज्योति के साथ ब्यानधुरा का स्मरण कर जागरण का विशेष आयोजन किया जाता है। यह मंदिर संतान की कामना, अन्याय और प्रेत आत्मा से बचाव के लिए खासा विख्यात है। महिलाएं पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए ब्यानधुरा देव का स्मरण कर अखंड दीप प्रज्वलित करने के साथ रात्रि जागरण करती हैं।
इस मंदिर का संबंध पांडवों से भी जोड़ा जाता है। बताते हैं कि ध्रुतक्रीड़ा में कौरवों से पराजित होने के बाद पांडवों ने अज्ञातवास का कुछ समय यहां भी बिताया था। यही नहीं अज्ञातवास में अर्जुन का गांडीव धनुष व अन्य अस्त्र-शस्त्र पांडवों ने ब्यानधुरा मंदिर क्षेत्र में छुपा कर रखे थे। इस मंदिर में श्रद्धालु मनोकामना के लिए धनुष बाण व त्रिशूल चढ़ाते हैं।
ब्यानधुरा मंदिर की चोटी पर मनसा देवी का मंदिर भी स्थापित है।
मनसा को मां पूर्णागिरि की बहन माना जाता है। श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर के भी दर्शन कर घास की गांठ बांधकर मन्नतें मांगते हैं। श्रद्धालुओं को यहां पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाती है, जिसके कारण उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कमोवेश ब्यानधुरा मंदिर को जाने के लिए जनपद उधमसिंह नगर के खटीमा व चकरपुर मार्ग और जनपद चम्पावत के टनकपुर से होकर सेनापानी व कठोल तक अस्थाई तौर पर वाहनों की आवाजाई रहती है लेकिन बरसात के समय जगह जगह मार्ग बाधित होने से श्रद्धालुओं को यहां आने जाने में भारी दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है।
सड़क व पेयजल व्यवस्था की जाए बेहतर
टनकपुर। श्री ब्यानधुरा मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पंडित शंकर दत्त जोशी ने बताया कि ब्यानधुरा मंदिर में पिछले वर्षों से श्रद्धालुओं की आवाजाही में काफी बढ़ोतरी हुई है लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं न मिलने से दिक्कतें भी उठानी पड़ रही है।उन्होंने कहा कि मार्ग ठीक ना होने और पेयजल की परेशानी होने से भी श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ती है। उनका कहना है की सेनापानी से कठोल तक मार्ग का निर्माण भी अभी तक नहीं हो पाया है यदि यह मार्ग ठीक हो जाए तो श्रद्धालुओं को महज 4 किलोमीटर ही पैदल सफर तय करना होगा।
ब्यानधुरा मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई हैं। यह मंदिर क्षेत्र वन विभाग व जंगल के बीचों बीच घिरा होने के कारण वन विभाग को यहां दिन व रात्रि के समय पेट्रोलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। जल संस्थान को कैंटरों के माध्यम से पेयजल व्यवस्था और एआरटीओ को ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
आकाश जोशी, उप जिलाधिकारी, टनकपुर
ब्यानधुरा क्षेत्र में 17 वर्षों से लगा रहे भंडारा
टनकपुर। शिव सेवा संघ चम्पावत की टीम वर्ष 2006 से लगातार ब्यानधुरा मंदिर क्षेत्र में भंडारा लगाकर पुण्य का कार्य कर रही है। सुप्रसिद्ध ब्यानधुरा मंदिर में हर वर्ष उत्तरायणी पर्व पर एक सप्ताह मेला का संचालन होता है। यहां उत्तराखंड ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी इस पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस बार उत्तरायणी पर्व 15 जनवरी को है।
चम्पावत से पहुंची शिव सेवा संघ की टीम चम्पावत व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ शक्टा व वरिष्ठ पत्रकार योगेश जोशी योगी के नेतृत्व में इस बार भी भक्तगणों की टीम भंडारा लगाने के लिए ब्यानधुरा पहुंच गए हैं। यहां अन्य भक्त गणों द्वारा द्वारा भी जगह-जगह भंडारे लगाए जाते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को काफी राहत मिलती है। इस समय भारी संख्या में श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
