बरेली: दरगाह-ए-आला हजरत पर अदा की गई गरीब नवाज के कुल शरीफ की रस्म

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। आज दरगाह आला हज़रत पर हिंदल वली ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती संजरी गरीब नवाज़ के 812वें कुल शरीफ की महफ़िल दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में हुई। 

बाद नमाज़ फज्र कुरानख्वानी और उसके बाद महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान से कारी रिजवान रज़ा ने किया। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि नातख्वा हाजी गुलाम सुब्हानी और आसिम नूरी ने हम्द-नात के बाद ख़्वाजा साहब की शान में मनकबत पेश की।

कारी अब्दुर्रहमान खान क़ादरी ने अपनी तकरीर में गरीब नवाज़ को खिराज पेश करते हुए कहा कि आप हसनी-हुसैनी सय्यद थे। आपके वालिद और वालिदा दोनों हाफिज व आलिम थे। आपने हिंद से कुफ़्र, शिर्क, बिदअत, जादू समेत तमाम खुराफातों के अंधेरों को दूर किया। मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के उलेमा व तलबा की मौजूदगी में फ़ातिहा और दुआ की गई। 

इस मौके पर मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी, मुफ्ती अफ़रोज़ आलम, मुफ़्ती अय्यूब खान, मुफ़्ती मोइनुद्दीन, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम, मौलाना अख़्तर, शाहिद नूरी, हाजी जावेद खान, परवेज़ नूरी, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, औरंगज़ेब नूरी, मुजाहिद रज़ा मंज़ूर खान, गौहर खान, सुहैल रज़ा, जोहैब रज़ा, शान रज़ा, सबलू रज़ा, साजिद रज़ा,सय्यद एजाज़, ग्याज़ रज़ा, इशरत नूरी, आलेनबी, नईम नूरी, रोमान खान, अरबाज खान, फैज़ खान आदि लोग मौजूद रहे।

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