Ayodhya Ram Mandir 2024: उन्नाव में एक ऐसा मंदिर... मां सीता के साथ प्रभु राम नहीं लव-कुश हैं विराजमान

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Published By Nitesh Mishra
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उन्नाव में एक ऐसा मंदिर जिसमें मां सीता के साथ प्रभु राम नहीं लव-कुश विराजमान हैं।

उन्नाव में एक ऐसा मंदिर जिसमें मां सीता के साथ प्रभु राम नहीं लव-कुश विराजमान हैं। इस स्थान पर मौजूद मां सीता की रसोई है। यहीं पर महर्षि वाल्मीकि ने लव-कुश को शिक्षा दी थी।

उन्नाव, परियर, (रवि मिश्र)। कहते हैं कि जहां राम हैं वहां माता सीता और भइया लक्ष्मण जरूर होते हैं। लेकिन, उन्नाव के परियर में एक ऐसा मंदिर है जिसमें मां सीता के साथ प्रभु राम व लक्ष्मण नहीं हैं बल्कि उसके दोनों बेटे लव और कुश विराजमान हैं। यह मंदिर उस समय की गाथा बताता है जब श्रीराम ने माता जानकी का परित्याग कर उन्हें जंगल भेज दिया था और माता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं।Jankikund 1 

परियर स्थित इस जानकीकुण्ड के कण-कण में आज भी मां सीता व लव-कुश की कथाएं विद्यमान हैं। इस स्थान पर मां सीता की रसोई भी है। कहा जाता है कि यहीं पर महर्षि वाल्मीकि ने लव-कुश को शिक्षा-दीक्षा भी दी थी।  

इतिहास बताता है कि रामायण काल की पौराणिकता परियर के कण-कण में विद्यमान है। रामायण काल के आखिरी अध्याय की कथा यहीं घटित हुई थी। अयोध्या के राजा रामचंद्र के आदेश पर जब लक्ष्मण ने सीता माता को लखनऊ-मोहान होते हुए जिस स्थान पर वन में छोड़ा था। वह स्थान आज भी यहां मौजूद है और महर्षि वाल्मीकि आश्रम जानकीकुण्ड के नाम से विख्यात है।

यहीं महर्षि वाल्मीकि जी ने सीता को आश्रय दिया था। मंदिर में आज भी सीता माता की मूर्ति है जिसमें उनके साथ प्रभु श्रीराम नहीं हैं। यह देश का पहला मंदिर है जहां सीता माता के साथ श्रीराम की मूर्ति नहीं है। यहां स्थित विशाल वट वृक्ष के नीचे सीता जी की रसोई भी बनी हुई है। जिसमे मां सीता खुद वन से लकड़ी लाकर चूल्हे में खाना बनाती थीं। यहीं पर सीता जी ने लव-कुश को जन्म दिया था। महर्षि वाल्मीकि जी ने दोनों को शिक्षा-दीक्षा दी थी।

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राजा रामचंद्र द्वारा जब अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा छोड़ा गया था तब उसे लव-कुश ने यहीं पर पकड़ा था। वह स्थान आज पावा गांव के नाम विख्यात है। जिस गांव में लव-कुश ने अश्व को बांधा था वह गांव भी पास में है और उसे बंधवा के नाम से जानते हैं। महर्षि वाल्मीकि ने मंत्रों द्वारा लव-कुश से अयोध्या की सेना से युद्ध करने के पहले परियर में बाबा बलखंडेश्वर महादेव की स्थापना करवाई थी। जिससे दुश्मन का बल खंडित हो जाए।

चकलवंशी के पास भिंमेश्वर की स्थापना भरत जी ने पूरे विधिविधान से की थी। युद्ध के दौरान लव-कुश ने हनुमान जी को जिस पेड़ में बांधा था। वह विशाल वट वृक्ष आज भी आश्रम में है। जिसे सरकार ने संरक्षित कर रखा है। बताया जाता है कि बाद में यहीं पर पृथ्वी में सीता माता समाई थीं। जिसे जानकीकुण्ड के नाम से जाना जाता है। जानकीकुण्ड से मिली मूर्ति यहां के रामजानकी मंदिर में दर्शन के लिए आज भी मौजूद है। 

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राजधानी से 65 किमी की दूरी पर स्थित है यह पौराणिक स्थल 

जानकीकुण्ड व वाल्मीकि आश्रम प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 65 किमी, उन्नाव शहर से 33 किमी व कानपुर के बिठूर से 5 किमी पर स्थित है।  

जो अयोध्या नहीं जा पाएंगे वे देखेंगे लाइव प्रसारण 

रामायण के आखिरी अध्याय की कथा यहीं चरितार्थ हुई थी। इसलिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग 22 जनवरी को अयोध्या धाम में प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में अभी से जाना शुरू कर दिया है। जो लोग वहां नहीं जा पा रहे हैं वह यहीं पर पूजा-आरती व लाइव प्रसारण में पहुंचेगे। इसे देखते हुए मंदिर समिति द्वारा सुबह से रात तक विभिन्न आयोजन की तैयारी की गई है। 

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अयोध्या जैसा ही होगा परियर का माहौल 

परियर स्थित बाबा बलखंडेश्वर मंदिर में 22 जनवरी की सुबह 9 से 11 बजे तक सुंदरकांड पाठ होगा। 11 से दोपहर 1 बजे तक अयोध्या धाम में हो रहा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम लाइव दिखाया जाएगा। 1 से शाम 4 बजे तक राम दरबार की झांकी परियर गांव में डीजे व डोल के साथ भ्रमण करेगी। शाम 5 से 8 बजे तक बाबा बलखंडेश्वर धाम स्थित सभी मंदिरों में 11 हजार दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाएगी। रात 8 बजे से सुप्रसिद्ध जागरण पार्टी द्वारा भगवान की सुंदर झांकी प्रस्तुत कर भक्तिगीतों की पूरी रात धूम रहेगी। 

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