कासगंज: तुलसी की धरा पर रचा नया इतिहास, 512 साल बाद सीता राम मंदिर में विराजे भगवान श्रीराम
सोरोंजी, अमृत विचार। अयोध्या में भगवान श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का उल्लास जहां एक ओर पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जा रहा था, वहीं भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त महकवि गोस्वामी तुलसीदास की धरा पर एक नया इतिहास रच गया। मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा विध्वंस किए गए इस मंदिर में तीर्थ पुरोहितों ने ऐसा कार्य कर दिखाया जिसकी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। 512 साल बाद इस मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीता विराजमान हुई है।
उत्तर भारत की प्रसिद्ध तीर्थ नगरी सोरोंजी को रामचरित मानस के रचियता तुलसीदास की जन्मस्थली माना जाता है। हालांकि भ्रांतियां हैं, लेकिन यहां के पुरोहितों के पास तमाम प्रमाण भी हैं। तुलसीदास जी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्तों में से एक थे। उनकी जन्मस्थली पर स्थापित सीता-राम मंदिर वर्ष 1511 में मुस्लिम आक्रांताओं ने अपने आक्रमण का शिकार बनाया। माता सीता और श्रीराम की मूर्ति ध्वस्त कर दी और मंदिर को तमाम क्षति पहुंचाई। तब से इस मंदिर की अनदेखी रही। प्रशासन और पुरातत्व विभाग ने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया।
मंदिर के सौंदर्यीकरण की सिर्फ औपचारिकता रही जबकि यह मंदिर पुरातत्व विभाग में सूचवद्ध भी है। पूरी तीर्थ नगरी का सिर्फ एक यही मंदिर है जो पुरातत्व विभाग की धरोहर है। यहां पुरोहित लंबे समय से मांग कर रहे थे कि भगवान श्रीराम और माता सीता की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया जाए।
इसका ऐसा सौंदर्यीकरण हो कि यहां आने वाले तीर्थ पुरोहित इस पर्यटक स्थल को आकर्षण का केंद्र बना लें, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इधर अयोध्या में जब 500 साल बाद भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त आया तो 512 वर्ष पूर्व विध्वंस की गई सीता राम मंदिर की मूर्तियों की स्थापना के लिए पुरोहित कहां पीछे रहने वाले थे। पुरोहितों ने आपस में मिलकर कार्य योजना तैयार की इसके बाद मंदिर में माता सीता और श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी कर ली। सोमवार को विधि-विधान पूर्वक इस मंदिर में माता सीता और श्रीराम की मूर्ति की पुन: प्राण प्रतिष्ठा की गई।
उमड़ पड़े तीर्थ नगरी के वाशिंदे
यह ऐतिहासिक क्षण देखने के लिए तीर्थ नगरी के वाशिंदे उत्साहित दिखाई दिए। जैसे ही सोरों के वाशिंदों को जानकारी हुई कि सीता-राम मंदिर में एक नया इतिहास रचने जा रहा है तो बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हो गए। तीर्थ नगरी के लोगों ने यहां धार्मिक अनुष्ठान में सहभागिता निभाई। वातावरण पूरी तरह भक्तिमय कर दिया।
क्या बोले आयोजक और पुजारी
भगवान श्रीराम के मंदिर में माता-सीता और राम का निवास तो है, लेकिन यहां मूर्ति नहीं थी। मुस्लिम आक्रांताओं ने आक्रमण के दौरान मूर्तियों को खंडित किया था। अब जब अयोध्या में मूर्ति स्थापना हुई है तो सोरों के इस ऐतिहासिक मंदिर में भी स्थापना जरूरी थी। - भूपेश शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ
विधि-विधान पूर्वक माता सीता-श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा सीता-राम मंदिर में कराई गई है। यहां हनुमान जी की मूर्ति पहले से स्थापित थी। यह बहुत ही सुहाना मौका है कि मुझे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान का अवसर मिला। - नरेश त्रिगुणायत, सेवादार श्रीवराह मंदिर
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