पीलीभीत: बाघिन के गले में हुआ जख्म तो किया इलाज, पहले पिया चिकन सूप, फिर उड़ाया पांच किलो मुर्गा

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Published By Vishal Singh
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पीलीभीत, अमृत विचार। पीसीसीएफ वाइल्ड द्वारा गठित तीन सदस्यीय चिकित्सकों ने टीम ने पीटीआर मुख्यालय पहुंचकर बाघिन का स्वास्थ्य परीक्षण किया। बाघिन को दूसरे पिंजड़े में शिफ्ट करने के बाद रेडियो कॉलर से उसके गले में जख्म का इलाज करने के साथ ब्लड सैंपल भी लिया। ब्लड सैंपल को जांच के लिए आईवीआरआई बरेली भेजा गया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को भेजी जाएगी। इसके बाद ही बाघिन को छोड़ने संबंधी फैसला लिया जाएगा।

कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांवों में दो माह तक आतंक मचाने वाली बाघिन को 26 दिसंबर 2023 को गांव अटकोना से ट्रैंक्युालाइज कर रेस्क्यू किया गया था। उस दौरान बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर कई परीक्षण करने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया था। इसके बाद बाघिन ने दोबारा रिहायशी इलाके में दस्तक देना शुरू कर दिया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) द्वारा बाघिन को पकड़ने के लिए मिली अनुमति के बाद 17 जनवरी को नगर पंचायत पकड़िया नौगवा के आबादी इलाके से 150 मीटर दूरी पिंजड़ा लगाया गया था।

डेरा जमा लिया। 21 जनवरी को बाघिन लगाए गए पिंजड़े में कैद को गई थी। बाघिन को रेस्क्यू कर पीटीआर मुख्यालय लाया गया। तबसे बाघिन पीटीआर मुख्यालय में ही रखी गई है।  इधर बाघिन के बीमार होने की भी बातें सामने आ रही है। हालांकि इस मामले में वन अफसर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन जिस तरह बाघिन को पीटीआर मुख्यालय में रखकर चिकित्सकों द्वारा लगातार परीक्षण किया जा रहा है, उससे साफ है कि बाघिन का स्वास्थ्य सामान्य नहीं है। एक दिन पूर्व आईवीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. एएम पावड़े ने बाघिन का परीक्षण किया था। 

जांच के दौरान बाघिन के गले में रेडियो कॉलर की वजह से जख्म होने की बात सामने आई थी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक  ने भी बाघिन के स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम का गठन किया है। इधर मंगलवार को चिकित्सीय टीम में शामिल लखनऊ प्राणि उद्यान के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरके सिंह, दुधवा टाइगर रिजर्व के डॉ. दयाशंकर एवं पीटीआर के डॉ. दक्ष गंगवार पीटीआर मुख्यालय पहुंचे। परीक्षण से पूर्व बाघिन बाघिन को दूसरे पिंजड़े में शिफ्ट किया गया। 

टीम ने बाघिन के गले में हुए जख्म का इलाज करने के साथ अन्य जांचें भी की। बाघिन का ब्लड सैंपल भी लिया गया। ब्लड सैंपल को जांच के लिए आई भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली भेजा गया है। वन अफसरों के मुताबिक  बाघिन की ब्लड सैंपल रिपोर्ट समेत चिकित्सकों की विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजी जाएगी। इसके बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा ही बाघिन के छोड़ने के बारे में निर्णय लिया जाएगा।

आवभगत में नहीं रखी जा रही कोई कमी 
रेस्क्यू की गई बिगड़ैल बाघिन भले ही दो दिन से पिंजरे में कैद हो, लेकिन उसकी आवभगत में कोई कमी नहीं रखी जा रही है। अमूमन रेस्क्यू करने के बाद बाघों को मटन या चिकन खाने को दिया जाता है, लेकिन 21 जनवरी से कैद बाघिन को स्वास्थ्य कारणों से कुछ ज्यादा ही बेहतर खाने को दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पशु चिकित्सकों की राय के अनुसार बाघिन को सोमवार को चिकन सूप दिया गया। इधर मंगलवार को बाघिन को खाने के लिए पांच किलो मुर्गे का मीट दिया गया।

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