Allahabad High Court: ज्ञानवापी मामले की सुनवाई से न्यायमूर्ति ने खुद को किया अलग

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) करने की मांग को खारिज करने वाले वाराणसी जिला जज के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष की ओर से न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की पीठ के समक्ष अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बहस की।

अधिवक्ता को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया, साथ ही मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष नामित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। अब इस मामले की सुनवाई आगामी 31 जनवरी को होने की संभावना है। हालांकि न्यायमूर्ति ने अपने को सुनवाई से अलग क्यों किया, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। 

मालूम हो कि वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने 21 अक्टूबर 2023 के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने (शिवलिंग को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने संबंधी निर्देश देने से इनकार कर दिया था। जिला अदालत में पक्षकार राखी सिंह ने प्राथमिक तर्क उठाया था कि संपत्ति (ज्ञानवापी परिसर) के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए वजूखाने का सर्वेक्षण आवश्यक है।

हालांकि उनका आवेदन खारिज करते हुए जिला जज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 के अपने आदेश के जरिए उस क्षेत्र की विधिवत सुरक्षा करने का आदेश दिया है, जहां शिवलिंग पाए जाने की बात कही गई है, इसलिए एएसआई को सर्वेक्षण करने का निर्देश देना उचित नहीं है। 

यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल पुनर्विचार याचिका में याची ने इस बात पर जोर दिया कि वजूखाने का सर्वेक्षण न्याय के हित में आवश्यक है। इससे वादी और प्रतिवादियों को समान रूप से लाभ होगा। 

इसके साथ ही याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि जिला जज ने अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग ठीक से नहीं किया है। आगे यह भी बताया गया कि अपने आदेश में उन्होंने जानबूझकर विधिवत संरक्षित क्षेत्र को सर्वेक्षण के दायरे से बाहर कर दिया है, क्योंकि जिस आवेदन पर उक्त आदेश पारित किया गया है, उसमें संरक्षित क्षेत्र के सर्वेक्षण की मांग करने वाली कोई प्रार्थना नहीं की गई थी। 

गौरतलब है कि एएसआई पहले ही ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर चुका है। यह सर्वेक्षण वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई 2023 के आदेशानुसार यह निर्धारित करने के लिए किया गया कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर पर किया गया है।

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