रामपुर: हमें मजहब में न बांटो सियासत के पुरोधाओं...

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Published By Priya
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आकाशवाणी रामपुर में गुनगुनी धूप में कवियों की रसधार से सराबोर हुए श्रोता, हिन्दी हैं हम विषय पर हुआ कवि सम्मेलन, दूर-दराज से आए कवियों ने किया रचना पाठ

रामपुर, अमृत विचार। नव वर्ष के प्रथम राष्ट्रीय पर्व पर आकाशवाणी रामपुर परिसर में कवि सम्मेलन ‘हिन्दी हैं हम’ की शुरूआत डीआईजी सीआरपीएपफ सुभाष चन्द्रा, उद्योगपति सुभाष नन्दा, समाज सेविका डॉ. शहनाज रहमान, कार्यक्रम प्रमुख  राजीव सक्सेना, सेवानिवृत्त सहायक निदेशक  मन्दीप कौर, तकनीकी प्रमुख  मंतोष विश्वास ने दीप प्रज्जवलित कर कवि सम्मेलन का आगाज किया। 

आकाशवाणी रामपुर परिसर में गुरुवार की दोपहर गुनगुनी धूप में श्रोताओं ने कवियों की रचनाओं का तालियां बजाकर खुले दिल से सराहा। वरिष्ठ उद्घोषक असीम सक्सेना ने कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए सभी आमंत्रित कवियों एवं आगन्तुकों का स्वागत किया। इसके बाद कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे डॉ. राहुल अवस्थी को आमंत्रित किया गया। संचालक ने सरस्वती वंदना के लिए संजीव मिश्रा को आवाज दी। संजीव मिश्रा ने कहा- भरी हो द्वेष के विष से, उस गागर को छोड़ देंगे हम/ दिखा पाये नहीं जो सच, तो वो दर्पण तोड़ देंगे  हम।

 इसके बाद मंच पर आए गौरव सक्सेना ने इन पक्तियों पर खूब तालियां बटोरीं- खुशनुमा होली, दीवाली और ईदों का नमन/ आकाश और धरती के सारे चन्नदीदों का नमन। इसके बाद प्रसिद्ध कवि विपिन शर्मा ने कहा कि अपनी रचना में अजान और नमाज का जिक्र करके इस देश की संस्कृति को नमन करते हुए कहा- जमीं पर पैर न रहते हवा में झूल जाते हैं/मिले शोहरत जरा सी तो अहं में फूल जाते हैं। विपिन शर्मा को इन पक्तियों पर खूब वाहवाही मिली- यहां पर राम सबका है यहां रहमान सबका है/ मैं हिन्दू तू मुस्लिम है मगर सम्मान सबका है। हमें मजहब में न बांटो सियासत के पुरोधाओं/ शहीदाने वतन अपना यह हिन्दुस्तान सबका है। इसके बाद संचालक ने डा. प्रेमवती उपाध्याय को आवाज दी उन्होंने कहा- आहुति प्राण की दे गये देश हित/उनके बलिदान की लाज रख लीजिए।  हंसते-हंसते लगाया गले मृत्यु को/ उनके अभिमान की लाज रख लीजिए। 

इसके बाद राम शबद चौहान ने माहौल को बदलते हुए  गजल पेश की। गजल के यह शेर श्रोताओं ने खूब पसंद किए- यह अहसान तेरी नजर पड़ गई है/दवा से भी ज्यादा असर कर गई है। तुम्हें तो दिल से खारिज करें भी तो कैसे/तेरी याद सीने में घर कर गई है। प्रीति चौधरी ने अपनी रचना में देश भक्ति के गीत में तिरंगे का जिक्र कुछ इस तरह किया- हाथ में लेकर तिरंगा जो वतन के हो गए/ओढ़ आंचल गोद मां की ही लिपट कर सो गए। संचालन कर रहे डॉ. राहुल अवस्थी की रचना की इन पक्तियों को श्रोताओं ने तालियां बजाकर खूब स्वागत किया- यूं जीवन जीना आसान नहीं होता/कोई बिन संघर्ष महान नहीं होता। इसके बाद संचालक ने कुलदीप अंगार को मंच से आवाज दी। उन्होंने मां भारती के मान में शब्दों को कुछ यूं पिरोया- भारती का मान, स्वाभिमान, अभिमान लिए/तान रंग तिरंगे के जान से भी प्यारे हैं। डॉ. सोनरूपा विशाल ने कुछ यूं कहा- तपस्वनी, मनस्वनी, यशस्वनी, वसुंधरा/ नमन नमन मनम तुझे स्वदेश की परंपरा। 

सभी कवियों ने इस कार्यक्रम में खूब वाहवाही लूटी, और तालियों से आकाशवाणी परिसर शाम तक गूंजता रहा।  इस अवसर पर पैक्स फेड के पूर्व अध्यक्ष सूर्य प्रकाश पाल, जिला युवा अधिकारी माहे आलम, कार्यक्रम प्रमुख आकाशवाणी रामपुर राजीव कुमार सक्सेना, सेवा निवृत्त कार्यक्रम प्रमुखा मंदीप कौर,  मुजफ्पफर अली खां, मयंक रस्तोगी, राम शब्द चौहान, गौरव सक्सेना, हरिओम, विकास माथुर, इरम फातिमा, बेबी अंजुम, फरीदउल्लाह खां, अंकुर सक्सेना, सुरेंद्र यादव, अपर्णा श्रीवास्तव, राना तलअत, अली हैदर, गोपाल आदि समस्त स्टाफ, एसाइनी उद्घोषक, कम्पीयर्स समेत काफी लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में तकनीकी प्रमुख  मंतोष बिश्वास ने सभी का आभार जताया। 

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