गन्‍ने का एफआरपी बढ़ाए जाने पर किसानों ने दी मिली-जुली प्रतिक्रिया 

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

बागपत/मेरठ/मुजफ्फरनगर। केन्‍द्र सरकार द्वारा गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 25 रुपये का इजाफा करके उसे 340 रुपये प्रति क्विंटल किये जाने पर किसानों और उनके नेताओं ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है।

भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता धर्मेंद्र मलिक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गन्‍ने का एफआरपी बढ़ाने के केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल के निर्णय से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के किसानों को कोई फायदा नहीं होगा क्‍योंकि इन प्रदेश में राज्‍य सरकारें ही गन्‍ने का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य तय करती हैं। जब तक प्रदेश सरकारें अपने यहां एफआरपी के सापेक्ष राज्‍य परामर्शी मूल्‍य नहीं बढ़ाती हैं, तब तक इन राज्‍यों के किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। 

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की बागपत जिला इकाई के अध्यक्ष प्रताप सिंह गुर्जर ने केंद्र सरकार द्वारा गन्ने पर बढ़ाये गये एफआरपी की मात्रा पर नाखुशी जताते हुए कहा कि सरकार अपना ही वादा भूल गई है। उन्‍होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मेरठ में एक जनसभा में गन्‍ने का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) 450 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया था।’’ 

गुर्जर ने कहा, ‘‘हम (किसान) भी उपभोक्ता हैं। सरकार को यह भी याद रखना चाहिए। हमें भी पेट्रोल, डीजल, खाद, बीज वगैरह खरीदना पड़ता है। ये सभी चीजें महंगी होती जा रही हैं। फिर गन्ने पर एमएसपी को किसानों की लागत के आधार पर बढ़ाया जाना चाहिए। अगर सरकारी कर्मचारियों का भत्ता महंगाई के आधार पर बढ़ता है तो फिर किसानों के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जाता? हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह गन्ने की कीमत को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।’’ 

सरकार ने बुधवार को अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सत्र 2024-25 के लिए गन्ना उत्पादकों को मिलों द्वारा भुगतान की जाने वाली न्यूनतम कीमत को 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया था। यह 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा घोषित गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) है। शाहजहांपुर जिले के गन्ना किसान गुरवंत सिंह ने भी केन्‍द्र सरकार द्वारा एफआरपी में की गयी वृद्धि को ‘मामूली’ बताया। 

उन्‍होंने कहा, ‘‘गन्ने की एफआरपी में 25 रुपये की बढ़ोतरी एक बड़े फैसले की तरह लग सकती है, लेकिन असल में यह बहुत कम है। पिछले कुछ वर्षों में खेती की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। सरकार को कम से कम एफआरबी में 70 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करनी चाहिए ताकि किसान अपनी लागत वसूल कर सकें।’’ 

दूसरी ओर, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राष्ट्रीय सचिव और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ किसान नेता डॉ. राज कुमार सांगवान ने मेरठ में बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की तकलीफ को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। इस बढ़ोतरी से किसानों को राहत मिलेगी।’’ 

हालांकि, रालोद नेता ने यह भी कहा कि जिस तरह से खेती की लागत बढ़ रही है, उसे देखते हुए एफआरपी को और बढ़ाया जा सकता था। मेरठ में भाकियू के जिला अध्यक्ष अनुराग चौधरी ने इस कदम का स्वागत किया। उन्‍होंने कहा, ‘‘गन्ने की एफआरपी 25 रुपये बढ़ाने का भारत सरकार का फैसला अच्छा है। लेकिन केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उत्तर प्रदेश के किसानों को इसका लाभ मिले।’’ 

उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसानों को इसका फायदा तब ही मिलेगा जब केन्‍द्र सरकार उत्तर प्रदेश की सरकार को निर्देशित करेगी कि एफआरपी के सापेक्ष प्रदेश में राज्‍य परामर्शी मूल्‍य (एसएपी) को भी बढ़ाये। असल में तभी गन्ना किसानों को फायदा मिलेगा, अन्यथा ये सब दिखावा ही साबित होगा। 

ये भी पढ़ें- Meerut News: किसान आंदोलन पर बोले पूर्व सेनाध्यक्ष- किसानों की मांगे मानना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं

संबंधित समाचार