बरेली: बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद, ईंट भट्ठों को भी करोड़ों का नुकसान

दो दिन में लाखों कच्ची ईंटें गलकर हुई बर्बाद, सरकार से टैक्स में छूट की मांग कर रहे भट्ठा मालिक

बरेली: बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद, ईंट भट्ठों को भी करोड़ों का नुकसान

बरेली, अमृत विचार। बारिश और ओलावृष्टि ने जिले में फसलों के साथ ईंट भट्ठों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। दो दिन की बारिश से पथेरी में रखी लाखों कच्ची ईंटें गलकर बर्बाद हो गई। ईंट भट्ठा मालिकों ने फरवरी में भी दो तीन बार बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का हवाला देते हुए सरकार से रॉयल्टी और टैक्स में छूट देने की मांग है। ईंट भट्ठा मालिकों का कहना है कि जिले के करीब दो सौ ईंट भट्ठे हैं। एक बार बारिश से भट्ठे की 30 प्रतिशत आय का नुकसान होता है। दो दिन की बारिश ने भट्ठा मालिकों को करोड़ों का नुकसान हुआ है और उनकी कमर टूट गई है।

उधर, जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी ने बताया कि बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की जानकारी देने के लिए अब तक 55 किसानों ने बीमा कंपनी और कृषि विभाग की हेल्पलाइन पर फोन किया है। कृषि अधिकारी ने कहा कि किसानों के सामने अगर किसी तरह की दिक्कत है तो वे उनके कार्यालय पर भी आकर लिखित शिकायत दे सकते हैं। टोल फ्री नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन के साथ कृषि विभाग की टीम भी फसलों के नुकसान का आंकलन कर रही है।

टैक्स में छूट दें सरकार
एक भट्ठा मालिक न्यूनतम चार लाख जीएसटी और तीन लाख रुपये रॉयल्टी के तौर पर देता है। फिर भी सरकार से आपदा पर राहत नहीं मिलती। बारिश से भट्ठे पर सात से आठ लाख का नुकसान हुआ है। - कमलेश पटेल, भट्ठा मालिक

बारिश का सबसे ज्यादा नुकसान भट्ठे को होता है। फरवरी और मार्च में बार-बार बारिश होने से हम लोगों की कमर पूरी तरह टूट गई है। इस बारिश से करीब तीन लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है। -शमसाद हुसैन, भट्ठा मालिक

मुआवजे की जरूरत
फसल पककर तैयार थी। अच्छी पैदावार की उम्मीद थी लेकिन बारिश और तेज हवा से सब बर्बाद हो गया। सरसों के फूल झड़ गए और गेहूं की बालियां बिखर गईं। कुदरत ने उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया है। -गेंदनलाल गंगवार, नवाबगंज

तेज हवा और बारिश से तीन बीघा में खड़ी सरसों गिर गई है। दो बीघा में गेहूं भी खराब हो गया। पंद्रह दिन बाद कटाई होनी थी। प्रशासन को किसानों को मुआवजा देने के लिए किसी तरह का इंतजार नहीं करना चाहिए। -सीताराम, भुता

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