मुरादाबाद : 'अब रंगों से खेलना बोरिंग लगता है...', युवाओं में समय के साथ कम हो रहा होली का क्रेज
डीजे पर अक्सर होते हैं विवाद, नशे से भी होती है परेशानी
मुरादाबाद, अमृत विचार। समय के अनुसार सब कुछ बदल जाता है। कुछ ऐसा ही मनुष्य के जीवन जीने के तरीकों में देखने को मिलता है। एक समय था जब युवाओं में होली खेलने का क्रेज रहता था। लेकिन, अब रंगों से कुछ युवा दूरी बना रहे हैं। होली पर कई लोग नशा भी करते हैं। जिससे दर्जनों सड़क हादसे होते हैं। डीजे पर होने वाले विवादों से होली खेलने का मजा भी किरकिरा हो जाता है।
हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में होली का विशेष महत्व है। इसे लोग बेहद उत्साह से मनाते रहे हैं। लेकिन, समय बदलने के साथ युवा होली के हुड़दंग से बच रहे हैं। पहले रंगों के त्योहार में शामिल होने के लिए युवाओं में होड़ रहती थी, लेकिन वर्तमान में युवा रंगों से दूरी बना रहे हैं। समय में बदलाव हुआ तो अब त्योहार मनाने का तरीका भी बदल गया। व्यस्तता भरी जिंदगी व आधुनिकता के इस युग में युवा अपनी परंपरा व संस्कृति भूलते जा रहे हैं। अब होली का मतलब सिर्फ गुलाल लगाने भर से रह गया है। युवाओं का कहना है कि अब उन्हें रंगों से होली खेलने में ज्यादा रुचि नहीं है।
होली को लेकर अब उतनी रुचि नहीं रही, बचपन में होली जमकर खेलते थे। लेकिन, अब रंगों से खेलना बोरिंग लगता है। फिजूल में विवाद भी हो जाते हैं। इसलिए न ही किसी को रंग लगाते हैं और न किसी को लगाने देते हैं।-वैशाली
अब रंगों से होली बहुत ही कम खेली जाती है। ज्यादातर गुलाल से ही मौज- मस्ती काफी हो जाती है। क्योंकि, बाजार में केमिकल मिले रंग बिकने लगे हैं। इसके प्रभाव से चेहरा खराब होने की संभावना होती है, इसलिए गुलाल से ही होली खेलेंगे।-अदिति
बचपन में पहले हम अपने मित्रों के साथ होली को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते थे। लेकिन, समय के साथ दोस्तों का साथ छूटता गया। अब होली के रंग फीके से लगते हैं। अब होली का उल्लास कम हो गया है।-कुशल शर्मा
इस बार की होली हम उनके साथ मनाएंगे, जिनका अपना कोई नहीं है। कोशिश करुंगा कि गुलाल और रंगों के साथ ही उनके जीवन में रंग भर सकूं।- हिमांशु शर्मा
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