मुरादाबाद : भाजपा की बैठक पर टिकी है टिकट के दावेदारों की नजर, रूठों को मनाने की होगी बड़ी चुनौती

टिकट पर टकटकी, केंद्रीय चुनाव समिति की अगली बैठक में पहले चरण में शामिल मुरादाबाद सीट से हो सकती है प्रत्याशी की घोषणा

मुरादाबाद : भाजपा की बैठक पर टिकी है टिकट के दावेदारों की नजर, रूठों को मनाने की होगी बड़ी चुनौती

मुरादाबाद, अमृत विचार।  लोकसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो रही है। लेकिन, बसपा को छोड़कर अभी तक मुरादाबाद सीट से किसी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इससे मतदाता तो पशोपेश में हैं ही, दावेदारों के दिल की धड़कनें बढ़ी हैं।

मुरादाबाद सीट पर भाजपा व सपा में कई दावेदार होने से संकट बना है। भाजपा के लिए यह सीट नाक का सवाल है। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 14 हारी सीटों में यह शामिल है। जिसको लेकर भाजपा के थिंक टैंक ने कई बार बैठकों में मंथन भी किया है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का गृह जनपद होने के चलते इस सीट को हर हाल में भाजपा इस बार सपा से छीनकर कमल खिलाने में लगी है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व कोई भी चूक कर विरोधी दलों को अवसर नहीं देना चाहता। इसलिए यहां के टिकट की घोषणा में वक्त लग रहा है। 

बात करें समाजवादी पार्टी की तो यहां से डॉ. एसटी हसन सीटिंग सांसद हैं। वह भी इसके आधार पर अपना टिकट फिर मांग रहे हैं। वहीं जिले के दो विधायक भी जोर आजमाइश में हैं। जिससे सपा मुखिया के सामने संकट है कि किसे टिकट देकर खुश करें तो किसे नाराज। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ी भीड़ को आधार बनाकर कांग्रेस भी सपा से यह सीट मांगने में लगी है। हालांकि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्पष्ट कर चुके हैं इस सीट पर सपा का प्रत्याशी ही उतरेगा।


मंडल में गठबंधन की गांठों को मजबूत करने में जुटे हैं दलों के सहयोगी
शह और मात के खेल में गठबंधन की गांठे न खुलें इसे भी संजोने में राजनीतिक दल लगे हैं। एनडीए गठबंधन में इस बार राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने से मंडल की कई सीटों पर उसके प्रत्याशी खड़े होने हैं। जिसके चलते उन सीटों पर भाजपा भी कदम पीछे खींचकर गठबंधन धर्म निभा रही है। बिजनौर की सीट रालोद के खाते में है, जो अपने प्रत्याशी भी घोषित कर चुकी है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में समझौता तो है लेकिन, कई सीट पर अभी टशन बरकरार है। अमरोहा व मुरादाबाद में अभी सपा व कांग्रेस की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं है। दोनों दलों के दिग्गज अपनी बात ऊपर रख रहे हैं। हालांकि सभी गठबंधन धर्म निभाने की बात कर रहे हैं।

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