पीलीभीत: होली पर कीमत कितनी भी चुकाओ, शुद्धता की नहीं कोई गारंटी, मिलावटी बेसन और तेल से तैयार हो रही नमकीन
पीलीभीत, अमृत विचार। महंगाई के दौर में कीमत कितनी भी चुकाओ, मगर शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। त्योहारों में तो खाने-पीने की चीजों में मिलावट और भी ज्यादा बढ़ जाती है। होली पर नजदीक आते ही नमकीन-पापड़ की डिमांड बढ़ने लगी है। बढ़ी खपत के साथ ही इसमें भी मिलावट की बू आने लगी है।
होली के मौके पर मिलावटी बेसन और तेल से तैयार नमकीन लोगों की सेहत को खराब न कर दें, इसका खतरा मंडराने लगा है। मगर, जिम्मेदार खाद्य एवं औषधि प्रशासन आंख मूंद कर बैठा है।
होली का पर्व नजदीक आते ही शहर समेत जिले के बाजार खाद्य पदार्थों से सज गए हैं। इसके साथ ही दुकानों पर दालमोठ, मिक्सचर, गठिया जैसी नमकीनों और पापड़ आदि की बिक्री भी शुरू हो चुकी है। होली में मेहमानों की आवभगत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली नमकीनों में भी मिलावटखोरों ने सेंधमारी कर दी है। मिलावटी बेसन, तेल आदि तैयार नमकीनों की बड़ी खेप भी बाजार में पहुंच चुकी है। बढ़ती डिमांड के चलते मिलावटखोरों ने इसकी तैयारी दो-तीन महीने पहले ही शुरू कर दी थी।
मुनाफे के खेल में मिलावटखोर किसी भी हद तक जाने लिए तैयार है। मगर, जिले का जिम्मेदार खाद्य एवं औषधि प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी अंजान बना बैठा है। वहीं पहले जिस तरह त्योहार पर एफएसडीए की ओर से मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री रोकने के लिए छापेमारी की जाती थी। वैसा इस बार कुछ नहीं दिख रहा है। इससे मिलावटखोरों का मनोबल और भी बढ़ा हुआ है। इन मिलावटखोरों का अपना नेटवर्क होता है। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर नकली खाद्य पदार्थ बाहर से आते हैं। खपत का 10 प्रतिशत यहां बनाया जाता है।
कुछ ऐसा है मिलावट का खेल
बाजार में चना 80 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि बेसन 90 से 100 रुपए किलो तक। वहीं रिफाइंड ऑयल की दर 110 से 150 रुपए किलो है। मगर, बेसन से बनने वाले यह नमकीन गठिया, मिक्चर आदि 160 रुपए प्रति किलो में मिल रहे हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि बाजारों में बिकने वाली नमकीनों में घटिया तेल और बेसन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बाजार में जो बेसन बिक रहे है, उसमें खेसारी दाल, मकई आटा, चावल और अरारोट पावडर मिलाए जाने की बात सामने आ रही है। जो लोगों की सेहत को बिगाड़ रहा है।
लोगों का कहना है कि बाजार में बिकने वाले दालमोठ में घटिया तेल, दाल और बेसन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कारण यह सस्ते मिल रहे हैं। बाजार में जहां शुद्ध और ब्रांडेड नमकीन 300 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रही है, वहीं नकली नमकीन कम दाम में बिक रही हैं। पापड़ और चिप्स में भी मिलावट का खेल चल रहा है।
रिजेक्टेड नमकीन की भी कर देते हैं ब्रिकी
सिस्टम की सरपरस्ती में मिलावटखोर क्या-क्या खिला रहे हैं, किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बाजार सूत्रों के मुताबिक मार्केट में रिजेक्टेड नमकीन की भी बिक्री हो रही है। बड़ी कंपनियां अपने ब्रांड के उत्पाद में कमी पाते ही जो नमकीन रिजेक्ट कर देतीं हैं, मिलावटखोर यही रिजेक्टेड नमकीन सस्ते दामों पर पर खरीद लेते हैं। फिर उसे लोकल ब्रांड में बदलकर बाजार में उतार देते हैं।
ये है साल भर मिलावटखोरी रोकने का हास्यास्पद प्रयास
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मुताबिक खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम द्वारा साल भर में नमकीन-पापड़ की 79 दुकानों का निरीक्षण किया गया। संदेह होने पर टीम द्वारा साल भर में नमकीन और पापड़ के महज आठ सैंपल ही लिए गए। विभाग की नमकीन और पापड़ की सैंपलिंग को लेकर जो रफ्तार है, उससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार किस हद तक मिलावटी नमकीन और पापड़ की बिक्री पर अंकुश लगा सकेंगे। ऐसे में लोगों को खुद ही सचेत रहने की जरूरत है।
मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं। त्योहारों पर विशेष रूप से अभियान चलाकर सैंपलिंग और कार्रवाइयां की जाती है। नमकीन-पापड़ में भी मिलावटखोरी रोकने के लिए सैंपलिंग की जाती है। स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। - शशांक त्रिपाठी, अभिहीत अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन
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