Kanpur: ऑटिज्म को न करें अनदेखा; ये हैं लक्षण...डॉक्टरों ने बताया- देश में 1 करोड़ पीड़ित, इस उम्र में ही दिखने लगते संकेत

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। ऑटिज्म न्यूरो विकास से संबंधित एक विकलांगता है, जो बच्चे की सोशल, संचार व व्यवहार कौशल को कई तरह से प्रभावित करता है। विश्व में 160 में से एक बच्चा ऑटिज्म से प्रभावित होता है। बच्चों में दो से तीन वर्ष की उम्र में ऑटिज्म के लक्षण मिलना शुरू हो जाते है। ऐसे बच्चे बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं लेते है और न ही उनको कोई नया बदलाव पसंद होता है। यह जानकारी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत राव ने दी। 

विश्व ऑटिज्म दिवस पर भारतीय बाल रोग अकादमी ने मंगलवार को आजाद नगर स्थित पुष्प खन्ना मेमोरियल सेंटर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। सेंटर की मैनेजिंग डायरेक्टर रूमा चतुर्वेदी व डॉ.साइमा वस्ती ने बताया कि सेंटर में ऐसे बच्चों को अपनापन का मौहाल दिया जाता है। अकादमी के अध्यक्ष डॉ.यशवंत राव ने बताया कि ऑटिज्म के शिकार बच्चे अपने में ही खोये व गुमसुम रहते है। 

यह आंखों में आंख डाल कर बात नहीं करते, अपना नाम पुकारे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं लेते, एक काम को बार-बार करते रहना और कोई नया बदलाव इनको पसंद नहीं होता है। अकादमी के सचिव डॉ.अमितेश यादव ने बताया कि विश्व में लगभग 7 करोड़ और भारत देश में एक करोड़ लोग ऑटिज्म से प्रभावित हैं। 

इसका पूरी तरह कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी जल्दी पहचान व आधुनिक चिकित्सा पद्धती जैसे ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि से इस स्थिति की गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डॉ. नेहा अग्रवाल ने बताया कि ऑटिज्म के संबंध में डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ व समाज में जागरूकता की काफी कमी है। वहीं, स्वरूप नगर स्थित एक क्लिनिक में कला प्रतियोगता का आयोजन हुआ। 

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