रामनगर: मई माह से बाजार में घुलेगी लीची की मिठास

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Published By Bhupesh Kanaujia
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विनोद पपनै, रामनगर, अमृत विचार। फलों की रानी कही जाने वाली लीची के पेड़ इन दिनों बौर से लकदक हैं। रामनगर की लीची का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना आम बात है। इस बार पेड़ों में अच्छी बौर देख लीची उत्पादकों के चेहरे पर चमक दिख रही है। लीची मई माह में बाजार में अपनी मिठास घोलेगी, लेकिन बाहर से लीची खरीदने वाले ठेकेदार अभी से बगीचों के चक्कर काटने लग गये हैं।

लीची के पेड़ों पर बौर देखे ठेकेदार उत्पादकों को नगद भुगतान कर फसल का सौदा करने को तैयार हैं। फल एवं उद्यान प्रभारी अर्जुन सिंह परवाल ने बताया कि रामनगर में 900 हेक्टेयर क्षेत्र में लीची का उत्पादन होता है। अगर आधी, तूफान, ओलावृष्टि नहीं हुई तो इस बार लीची उत्पादकों को काफी लाभ हो सकता है। रामनगर क्षेत्र में साढ़े पांच हजार मैट्रिक टन से छह हजार मैट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है।

जीआई टैग से मिलेंगे अच्छे दाम
रामनगर लीची ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्वेतांशु चतुर्वेदी ने बताया कि एसोसिएशन को रामनगर- नैनीताल लीची का जीआई टैग प्राप्त है। कोई भी लीची उत्पादक जीआई टैग यूजर्स सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकता है। इसके लिए बस एक साधारण फार्म भरना है और मात्र दस रुपये एसोसिएशन के पास जमा कराने हैं।

उत्पादकों से प्राप्त धनराशि का ड्राफ्ट बनाकर एसोसिएशन जीआई टैग प्रदान करने वाली संस्था को भेज देगी। फिर उत्पादक को जीआई टैग यूजर सर्टिफिकेट मिल जाएगा। जिसे उत्पादक अपने उत्पाद पर प्रिंट करा सकता है। यह एक प्रकार से हॉल मार्क है। इसके लगने से लीची उत्पादक को अच्छे दाम बाजार में मिल सकते हैं।

देश के विभिन्न स्थानों में होती है सप्लाई
रामनगर से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार आदि अनेक स्थानों पर लीची की सप्लाई होती है। लीची के बगीचे ठेके पर लेने वाले ठेकेदार इस्लाम कहते हैं कि लीची की फसल इस बार काफी अच्छी दिख रही है। बस आधी और ओलावृष्टि न हो।

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