मुरादाबाद : स्पान्सरशिप योजना के लाभ को दादी संग चक्कर काट रही 10 साल की अवनी

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Published By Bhawna
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आर्थिक तंगी के चलते अब पढ़ाई-लिखाई पर बना संकट, मां घरों में चौका-बर्तन कर कर रही गुजर-बसर

धर्मेंद्र सिंह,अमृत विचार। सरकार जहां बेटियों की शिक्षा के लिए कई योजनाएं चलाकर ''बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ'' का नारा दे रही है। वहीं छठी कक्षा की 10 साल की अवनी अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही है। पिता को खोने के बाद वह बूढ़ी दादी के साथ स्पान्सरशिप योजना का लाभ लेने के लिए विभाग के चक्कर काट रही है। बुधवार को सुबह 10:00 बजे पहुंची अवनी विभागीय अधिकारी से मिलने के लिए दोपहर तक विकास भवन की सीढ़ियों पर ही बैठी रही। इंतजार में उन्हें भूख के आगे बेबस होना पड़ा और विकास भवन की सीढ़ियों पर बैठ कर ही लंच करना पड़ा। दोपहर बाद तक इंतजार कर दादी पोती को मायूस होकर लौटना पड़ा।

बुधवार की दोपहर 12 बजे विकास भवन की सीढ़ियों पर बैठी एक बूढ़ी महिला एक छोटी बच्ची के साथ बैठी खाना खा रही थी। यह बच्ची कोई और नहीं मेथोडिस्ट गर्ल्स इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली छठी कक्षा की छात्रा अवनी है। वह चिड़ियाटोला में रेलवे के क्वार्टर में दादी और मां के साथ रहती है। अवनी के पिता का देहांत कई वर्ष पूर्व हो चुका है। मां कृष्णा घरों में चौका-बर्तन कर किसी तरह परिवार की गुजर-बसर कर रही है। घर में आर्थिक तंगी के कारण अब अवनी की आगे पढ़ाई पर संकट गहराने लगा। लेकिन, 10 वर्षीय अवनी अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही है।

अवनी बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग की स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ लेने के लिए अपनी दादी के साथ विभाग के कई महीनों से चक्कर काट रही है। लेकिन, विभागीय कर्मचारी उसे हर बार टरका देते हैं। बुधवार की सुबह 10 बजे अवनी दादी के साथ कार्यालय पहुंची जहां बाल विकास एवं महिला कल्याण अधिकारी अनुराग श्याम रस्तोगी नहीं मिले। उनके कक्ष के बाहर बैठे कर्मचारी ने दोनों को कमरा नम्बर-11 में भेज दिया। जहां उन्हें हर बार की तरह नियमों को पहाड़ा पढ़ाकर टरका दिया गया।

पर इस बार अवनी और दादी दोनों विकास भवन की सीढ़ियों पर बैठकर बाल विकास एवं महिला कल्याण अधिकारी का इंतजार कर रही थी। दोपहर के 12 बजे तो उनसे भूख के आगे रुका नहीं गया और थैले से टिफिन निकाला खाना खाने लगीं। यहां से गुजरने वाला हर कोई उनके यहां बैठे होने का कारण पूछ रहा था। अवनी और उसकी दादी समस्या के समाधान को हर हाल में बाल विकास एवं महिला कल्याण अधिकारी से मिलकर ही जाना चाहती थीं। लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी दोपहर बाद उनका सब्र टूट गया और दोनों को पहले की तरह मायूस होकर लौटना पड़ा।

192 बच्चों को मिल रहा लाभ
स्पॉन्सरशिप योजना से जिले के 192 बच्चों को लाभांवित किया जा रहा है। 100 बच्चों ने अभी और आवेदन किया है। जिनको जल्दी ही योजना का लाभ दिया जाएगा।

ऐसे बच्चों को दिया जा रहा लाभ
सरकार की तरफ से अनाथ व एक अभिभावक की मौत के बाद बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना के तहत प्रतिमाह 4000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके तहत एक माता-पिता के अधिकतम दो बच्चों को यह लाभ दिया जाएगा। अभी तक ऐसे बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से लाभान्वित किया जा रहा है। जिन बच्चों के माता-पिता में से किसी एक का देहांत मार्च 2020 के बाद हुआ है उन्हें बाल सेवा योजना के तहत 2500 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं। इसके अलावा निराश्रित बच्चों के माता-पिता में से दोनों या किसी एक के न होने की स्थिति में उन्हें स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिया जा सकता है। पात्र की आयु 18 वर्ष से कम हो।

कलेक्ट्रेट में एक मीटिंग की वजह से बुधवार को मैं अवनी को नहीं मिल पाया। अगर वह कई दिनों से चक्कर काट रही तो बेहद गंभीर विषय है। गुरुवार को उसकी डिटेल निकलवा कर उसे स्पॉन्सरशिप योजना में शामिल करने की कार्रवाई की जाएगी। अवनी की पढ़ाई में अब कोई रुकावट नहीं आने दी आएगी। -अनुराग श्याम रस्तोगी, बाल विकास एवं महिला कल्याण अधिकारी

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