Kanpur: बिकरू गांव के लोग अब बेफिक्र होकर कर सकेंगे मतदान, चौपालों पर चुनावी चर्चा आम, महिला मतदाताओं में दिख रहा ज्यादा उत्साह

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Published By Deepak Shukla
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दहशतगर्द विकास दुबे के खात्मे के बाद पहली बार हो रहा लोकसभा चुनाव

कानपुर, अमृत विचार। वर्षों तक दुर्दांत विकास दुबे की दहशत में जीते रहे बिकरू गांव के वाशिंदे इस बार लोकसभा चुनाव में बेफिक्र होकर अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे। मतदान को लेकर अब गांव की चौपालों पर चुनावी चर्चा आम बात हो गई है। ग्रामीणों में अपने मताधिकार को लेकर अब कोई पाबंदी नहीं रह गई है, यही वजह है कि यहां के वाशिंदों में पुरुषों के सापेक्ष महिला मतदाताओं में आगामी चुनाव को लेकर जबरदस्त उत्साह बना है। 
     
मालूम हो कि बिकरु व उसके आसपास के करीब दर्जनभर गांवों में कुख्यात विकास दुबे का इस कदर खौफ था कि उसकी मर्जी बगैर कोई भी व्यक्ति अपने मत का प्रयोग नहीं कर सकता था। क्षेत्र में उसकी तूती बोलती थी। एक बार फरमान जारी होने पर हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ कोई जुबां तक नहीं हिला सकता था। यही वजह रही कि वर्ष 1995 के बाद से बिकरू ग्राम पंचायत में कभी निष्पक्ष मतदान नहीं हुआ और एक बार प्रधान बनने के बाद अगले 25 वर्षों तक ग्राम पंचायत मानो विकास दुबे की विरासत बनकर रह गई थी। जिसे चाहा, उसे प्रधान बनाया। इन 25 वर्षों के अंतराल में प्रधान कोई भी रहा हो, लेकिन प्रधानी का अधिकार पूर्ण रूप से विकास दुबे के पास ही रहा।
    
कुछ ऐसा ही हाल यहां की जिला पंचायत सीट घिमऊ का भी रहा है। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे वर्ष 2000 से 2005 तक इस सीट से जिला पंचायत सदस्य रहा। इसके बाद एस सी सीट के चलते शिव शंकर कोरी ने विकास के बल पर चुनाव जीता। तदोपरांत पिछड़ी जाति के लिए सीट आरक्षित होने पर सुनील पाल की जीत में भी विकास दुबे का पूर्ण सहयोग रहा। इसके बाद वर्ष 2015 से विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे जिला पंचायत सदस्य रहीं। विकास के खात्मे के बाद निर्दलीय अवकाश सिंह ने सीट पर कब्जा जमाया। इसी तरह बीते ग्राम पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की बयार बही, और मधू कमल ने अपना परचम लहराया।
     
इधर बिकरू कांड के बाद दहशतगर्द विकास दुबे की 10 जुलाई 2020 को हुई मौत के पश्चात पहली बार लोकसभा के चुनाव में यहां के लोग अपनी स्वेच्छा से मत का प्रयोग कर सकेंगे। चुनाव को लेकर पुरुषों के सापेक्ष महिलाओं में भी जबरदस्त उत्साह दिखाई दे रहा। पहली बार अपने मत का प्रयोग करने जा रहीं गांव की संगीता, निधी, व कीर्ति के साथ सुशीला, रामदेवी, बिटोला और कंचन आदि महिलाओं ने बताया कि अब मतदाताओं पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं रह गया है और वह पूरी तरह से निर्भीक होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगी।

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