आर्थिक प्रगति की रफ्तार

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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संयुक्त राष्ट्र ने विश्व अर्थव्यवस्था के 2024 में 2.7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो कि जनवरी 2024 के आंकड़े की तुलना में 0.3 प्रतिशत अधिक है। 2025 में आर्थिक प्रगति की रफ्तार 2.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। यह अमेरिका और ब्राजील, भारत तथा रूस सहित कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बेहतर प्रदर्शन की ओर भी इशारा करता है। 

भारत की अर्थव्यवस्था के वर्ष 2024 में 6.9 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत का आर्थिक विकास प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है और यह कई पश्चिमी कंपनी के लिए निवेश करने का एक वैकल्पिक गंतव्य बन गया है क्योंकि चीन में विदेशी निवेश कम होता जा रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2024 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि को संशोधित किए जाने के मौके पर विशेषज्ञ ने यह बात कही। कई प्रमुख फैक्टर भारत के मौजूदा आर्थिक परिदृश्य को चिन्हित करते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महंगाई लगातार एक चिंता बनी रही है। परंतु हाल की वित्तीय और मौद्रिक नीतियों में महंगाई को काबू में रखने की कोशिशें साफ तौर पर दिखी हैं। 

हालांकि अनेक विकासशील अर्थव्यवस्थाएं अब भी महंगाई से जूझ रही हैं। अनेक देशों को उधार लेने की ऊंची क़ीमतों, राजनैतिक अस्थिरता और विनमिय दर के दबावों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। फिर भी भूराजनैतिक तनावों व टकरावों के गहन रूप धारण करने की आशंका से अनेक अर्थव्यवस्थाओं के लिए निकट भविष्य में आर्थिक हालात पर असर पड़ सकता है। इसलिए फिलहाल आर्थिक मोर्चे पर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है। रिपोर्ट में बेहतर हो रहे आर्थिक हालात के साथ-साथ ऊंची ब्याज़ दरों, कर्ज सततता संबंधी चुनौतियों और चरम मौसम घटनाओं के प्रति सचेत किया गया है।

गौरतलब है कि गत वर्ष भारत ने चीन को पीछे छोड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा हासिल कर लिया। दुनिया में एक प्रमुख देश के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए अपने व्यापक मानव संसाधन, विशेष रूप से अपनी युवा जनसंख्या के इस्तेमाल की भारत की क्षमता की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है।

शिक्षा, कौशल विकास और नई नौकरियों के ज़रिए भारत के इस जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाने से आर्थिक विकास में बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन इसके लिए बढ़ते कार्य बल के मुताबिक प्रभावी संसाधन प्रबंधन और अवसर के प्रावधान की भी आवश्यकता है।