अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस: रुहेलखंड का इतिहास संजोए है पांचाल संग्रहालय

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। रुहेलखंड विश्वविद्यालय का पांचाल संग्रहालय इतिहास को संजोए हुए है। इसमें प्राचीन मूर्तियां और पांडुलिपियां संरक्षित हैं। संग्रहालय में डिजिटल तरीके से भी इतिहास की जानकारी दी जाती है।

करीब नौ साल पहले बने पांचाल संग्रहालय में रोजाना करीब 50 लोग आते हैं। संग्रहालय को वर्ष 2019 में चंदौसी के अतुल मिश्र ने 1001 मूर्तियां दान की थीं। यहां अमरोहा, मुरादाबाद, बिजनौर, बरेली, संभल, बदायुं, रामपुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत की ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरें सुसज्जित हैं। यहां पाषाण काल, गुप्तकाल और शुंग काल की जानकारी डिजिटल स्क्रीन पर देखी जा सकती है।

यहां चार हजार साल पुराने ताम्र अस्त्र, टेराकोटा की मूर्तियां, सिक्के, पांडुलिपियां, मृदभांड को सहेज कर रखा गया है। मूर्तियों में विष्णु, शंकर, पार्वती, महिला, पुरुष, किन्नर, जानवर और अन्य शामिल हैं। संग्रहालय के एक कमरे में स्वर्गीय डॉ. राजीका की सांस्कृतिक वीथिका को संजोया गया है। जहां करीब दो सौ साल पुराना फर्नीचर रखा है। 

इसके अलावा कई साल पुराना इलेक्ट्रानिक सामान भी मौजूद है। वर्ष 2020 में केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने दूसरी बार विश्वविद्यालय को भुता के गजनेरा गांव की खोदाई का लाइसेंस दिया। जहां कुछ मूर्तियां प्राप्त हुईं। इस संग्रहालय का मकसद विद्यार्थी और इतिहास के शोधार्थी यहां आकर अध्ययन करें।

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