क्वीन के हटते ही फंस गया जौनपुर सीट का चुनावी समीकरण, भाजपा प्रत्याशी गोमती नदी किनारे बैठकर खोज रहे मोदी की समुद्री लहर

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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सपा प्रत्याशी को एंटी बीजेपी वोट का फायदा मिला पर बैकवर्ड वोट बैंक कर रहा बैक फ़ायर बसपा प्रत्याशी का दलित वोट बैंक हुआ फिक्स, बैकवर्ड तेज़ी से जुड़ रहे जौनपुर की सीट फिर त्रिकोणीय संघर्ष की तरफ बढ़ी, अब मौसम की तल्खी से कदम ताल मिला रही चुनावी सरगर्मी 

दिलीप शुक्ला/जौनपुर। इस बार के संसदीय चुनाव में मोदी की लहर लापता है लेकिन एनडीए के अधिकतर प्रत्याशी जीत की उम्मीद में वही लहर खोज रहे हैं। जौनपुर सीट की बात करें तो यहाँ 2014 में पहली लहर थी लेकिन 2019 में दूसरी लहर नहीं आई तो पूर्व सांसद धनंजय सिंह के समर्थकों का फायदा सपा- बसपा गठबंधन प्रत्याशी को मिला। 

2024 में तो देश भर में लहर नहीं है, ऐसे में इस बार धनंजय को सजा मिलने के बाद बसपा ने उनकी पत्नी श्रीकला को टिकट देकर चुनाव को कैरम के खेल की तरह बना दिया। सभी गोटी लाल रंग की क्वीन के इर्द गिर्द घूमने लगीं। पूर्व सांसद धनंजय के बरेली जेल से जमानत पर छूटते ही जौनपुर की सीट प्रदेश में सबसे हॉट हो गई। 

इस सीट का बढ़ा तापमान भाजपा प्रत्याशी के जरिये जब दिल्ली पहुंचा तो वहाँ से क्वीन गोटी यानी श्रीकला को नामांकन के अंतिम दिन चुनाव से ही बाहर होना पड़ा। इसके बाद चुनावी किंग से समर्थन देने और तटस्थ रहने को कहा गया। भाजपा हाई कमान अमित शाह से चूक वहीं तब हुई जब श्रीकला धनंजय सिंह को पार्टी में शामिल करके चुनाव प्रचार में नहीं उतारा गया? यह चूक भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ी और जीतने वाली सीट हाथ से निकलने लगी। अब चुनाव को हफ्ते भर हैं और चुनावी तापमान के साथ मौसम का तापमान भी ऊचाई नापने लगा है। 

सभी पाँच विधानसभा में धनंजय के एक लाख से अधिक समर्थक खुद को चुनावी समर से ही बाहर कर लिये हैं, ऊपर से भाजपा के कार्यकर्ता भी थके हारे जुआरी सरीखे हो गए हैं। वर्तमान व पूर्व पदाधिकारी अपनी सक्रियता का दिखावा करके निष्ठवाँन होने में लगे हैं। क्योंकि उनपर भी पार्टी प्रत्याशी के जरिये हाई कमान का चाबुक जो चला है।  

दूसरी तरफ सपा के इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी दागी होने पर सपा से मैदान में आये हैं। श्रीकला धनंजय के हटने के बाद वह मुस्लिम वोट बैंक को लेकर खुद को विनर की रेस में मानने लगे जबकि ये मतदाता अभी सपा- बसपा दोनों में जीत को लेकर दुविधा में है। क्योंकि बसपा से सिटिंग सांसद श्याम सिंह यादव हैं इसलिए बड़ी संख्या में इनसे यादव वोटर जुड़े हैं। वह यहीं के निवासी भी हैं। सपा प्रत्याशी हैं तो बाहरी लेकिन उन्होंने अदर बैकवर्ड को जहाँ तोड़ने में विविध तरीकों से ताकत लगा दी है वहीं भाजपा के मौर्य वोट तोड़ लेने का दावा भी उनके समर्थक कर रहे हैं।

 बसपा प्रत्याशी के लगातार मजबूत होने से यह चुनाव एक बार फिर त्रिकोणीय हो चला है। इनमें सभी एक- दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। वर्तमान समय में निर्णायक भूमिका में श्रीकला धनंजय सिंह हो सकते हैं यदि भाजपा, सपा या बसपा में जिसने भी उन्हें अपनी तरफ करके चुनावी समर में प्रचार के लिए उतार लिया तो उसका पलड़ा भारी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

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