शाहजहांपुर: दुष्कर्म के 30 साल बाद दो भाइयों को सजा, डीएनए बना सबूत

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Published By Vikas Babu
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शाहजहांपुर, अमृत विचार: नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले भाइयों को कोर्ट ने घटना के 30 साल बाद दस-दस साल कैद की सजा सुनाई। केस में दुष्कर्म से जन्मे बेटे के डीएनए ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साल 1994 में पीड़िता से दुष्कर्म हुआ था, जिसके बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया। 17 साल का होने पर बेटे ने अपनी मां को ढूंढ लिया और दुष्कर्म का केस दर्ज कराने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ सदर कोतवाली में केस दर्ज किया गया था। अब इस केस में आरोपियों को दस-दस साल कैद की सजा हुई है। 

वर्ष 2021 में महिला ने कोर्ट का सहारा लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि 1994 में वह अपनी बहन व बहनोई के साथ थाना सदर बाजार क्षेत्र के एक मोहल्ले में रहती थी। बहनोई वन विभाग में नौकरी करते थे। बहन प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी। उस समय पीड़िता की उम्र 12 साल थी। महमंद जलालनगर का नकी व उसका भाई गुडडू उसके पड़ोस में रहते थे। 

एक दिन अकेला देख नकी घर में घुस आया और दुष्कर्म किया। दूसरे दिन अकेला पाकर उसके भाई ने भी दुष्कर्म किया। दोनों आरोपी दो साल तक उसे डरा-धमका कर उससे दुष्कर्म करते रहे। जिससे वह गर्भवती हो गई। बहन-बहनोई ने शिकायत की तो मारपीट की। डाक्टर ने गर्भपात से मना कर दिया। 13 साल की आयु में पीड़िता ने पुत्र को जन्म दिया। जिसे रिश्तेदार को दे दिया। 

सन 2000 में उसका विवाह गाजीपुर निवासी युवक से कर दिया गया। शादी के छह साल बाद पति को पीड़िता के दुष्कर्म और बेटे के जन्म की जानकारी हुई तो संबंध विच्छेद हो गए। महिला ने बताया कि 10 साल पहले रिश्तेदारी को दिया बेटा घर आया। उसने सवाल किए तो पूरी सच्चाई बताई।

परिवार टूटने के डर से कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन फिर दोषियों पर कार्रवाई की कोर्ट में गुहार की। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया। कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता व बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तर्कों को सुना। तथ्य व साक्ष्यों के आधार पर दोषियों को सजा सुनाई।

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