प्रयागराज :  खामोश जनता किसे चुनेगी अपना सांसद, किसके सिर होगा ताज़

प्रयागराज :  खामोश जनता किसे चुनेगी अपना सांसद, किसके सिर होगा ताज़

प्रयागराज, अमृत विचार। लोकसभा चनाव सिर पर है। प्रत्याशी सिर पर ताज़ पहनने के लिए आतुर है। ऐसे में लगातार चुनाव प्रचार जारी है। हलाकि अब गुरूवार शाम तक प्रचार भी थम जायेगा। वहीं जनता खामोश है। वह सब जानती है। किस नेता की इस पांच सालों में क्या किया, क्या नही किया। बस जनता अपनी जुबान नही खोल रही है। इस बार जनता खामोश रहकर अपना सांसद चुनेगी और संसद तक पहुंचाकर उसे जीत का ताज़ पहनाएगी। 

संगमनगरी में चुनाव को लेकर काफी गहमा गहमी बनी है। दो दिन बाद होने वाले मतदान में किसके सिर ताज़ होगा यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। प्रयागराज और फूलपुर में किस सांसद व विधायक की विकास की गंगा बहाई है। यह जनता जानती है। किस गांव में  पानी पहुंचाया गया, कहां सड़क बनवाई गयी। किसे घर और शौचालय मिला। जनता को सब मालूम है। आम जन मानस यह क्या मिला यह नेता भी जानते है। लोगो का कहना है कि नेता चुनाव के बाद उन्हे भूल जाते है। कभी गांव के चकरोट पर नजर नही आते।   झोपड़ी में रहने वाले किसानों के सामने हाथ जोड़कर वोट मांगने वाल आज तो दिखाई दे रहे है लेकिन चुनाव के बाद उनकी दशा देखने के लोए कोई नजत नही आएगा। 

दो दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला

इलाहाबाद लोकसभा की सियासी पिच पर इस समय दो दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। सत्ताधारी दल भाजपा से राज्यपाल रहे स्व. केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी है, जिन्हे अपने पिता राजनीति विरासत में मिली है, तो दूसरी तरफ समाजवादी के कद्दावर नेता कुंवर रेवतीरमण सिंह के बेटे उज्ज्वल रमण सिंह भी अपने पिता की राजनीति विरासत को बरकरार रखने के लिए मैदान में उतरे हैं। स्व. केशरीनाथ त्रिपाठी विधानसभा के अध्यक्ष के अलावा बंगाल के गवर्नर भी रह चुके हैं। तो दूसरी तरफ कुंवर रेवतीरमण सिंह के नाम आठ बार विधानसभा चुनाव जीतने का तमगा रहा है। वह इलाहाबाद सीट से ही लगातार दो बार सांसद भी चुने गए है। उन्हें राज्यसभा जाने का भी मौका उन्हे मिला। 

13 प्रत्याशी मैदान में 

खास बात यह है कि इलाहाबाद सीट से कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने के लिए ताल ठोकें हुए है। लेकिन कड़ा मुकाबला सिर्फ भाजपा व कांग्रेस इंडी गठबंधन के दिख रहे है। तीसरे प्रमुख दल की बात करे तो बसपा से रमेश पटेल भी मैदान में ताल ठोके है। बीते चुनाव की बात करे तो में बसपा ने यहां से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था।  लेकिन 2014 में बसपा ने यहां से दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। उस दौरान देखा गया था की पहली मोदी लहर में बसपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल को 1,62,073 वोट मिले थे।