पाकिस्तान के Supreme Court ने पत्र लिखकर ब्रिटेन से पिछली गलतियां सुधारने का किया आग्रह

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Published By Bhawna
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट को पत्र लिखकर ब्रिटेन से अपनी पिछली गलतियों को सुधारने का आग्रह किया है। बुधवार को एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के मुताबिक, यह पत्र प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा के निर्देश पर उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा भेजा गया था। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्चायुक्त मैरियट ने हाल ही में लाहौर में आयोजित अस्मा जहांगीर सम्मेलन में लोकतंत्र और खुले समाजों के बारे में बात की थी, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि ब्रिटेन को पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय से सीख लेनी चाहिए जिसने अपनी गलतियों को सुधारा है। पत्र में कहा गया है, "पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अपनी गलतियों को सुधारा है और यह जरूरी है कि ब्रिटेन भी अपनी गलतियों को स्वीकार करे और सुधारे।"

पत्र में कहा गया है कि ईरान में 1953 का तख्तापलट और बाल्फोर घोषणा के माध्यम से इजराइल की स्थापना ऐतिहासिक गलतियां थीं। पत्र में कहा गया है, "हमें ईमानदार होना चाहिए और खुलेपन की भावना के साथ पिछली गलतियों को स्वीकार करना चाहिए। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अपनी पिछली गलतियों को पहचाना है, उन्हें ठीक किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि वे दोहराई न जाएं।"

पत्र में यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला गया है, "जैसा कि किंग चार्ल्स तृतीय की सरकार खुले समाज और लोकतंत्र की ज़रूरत पर ज़ोर देती है... हम आपके देश के लोगों के खुलेपन और लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं।" पत्र में ब्रिटेन से अपनी गलतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया है, लेकिन इसमें अविभाजित भारत में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा किए गए जघन्य अपराधों का उल्लेख नहीं किया गया है। 

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