बदायूं: बिजली विभाग ने ई-रिक्शा चालक पर लगाया 8.11 लाख रुपये का जुर्माना, कोर्ट ने किया निरस्त

पीड़ित ई-रिक्शा चालक ने बिजली विभाग ने मांगी थी आरटीआई, नहीं कराई गई उपलब्ध

बदायूं: बिजली विभाग ने ई-रिक्शा चालक पर लगाया 8.11 लाख रुपये का जुर्माना, कोर्ट ने किया निरस्त

बदायूं, अमृत विचार। बिजली विभाग के प्रवर्तन दल ने एक ई-रिक्शा चालक पर बिजली चोरी करके दुकान पर बेल्डिंग करने पर 6 लाख 70 हजार 927 रुपये जुर्माना और एक लाख 40 हजार शमन शुल्क लगाया। ई-रिक्शा चालक ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय स्थाई लोक अदालत ने दोनों पक्षों को सुना। जिसके बाद बिजली विभाग द्वारा ई-रिक्शा चालक के खिलाफ जारी किया गया 8 लाख 10 हजार 927 रुपये का वसूली प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है।

कोतवाली सहसवान क्षेत्र कस्बा के मोहल्ला कटरा निवासी शकील पुत्र अमीरद्दीन ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, विद्युत वितरण खंड चतुर्थ के अधिशासी अभियंता व उपखंड अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें उन्होंने बताया कि वह ई-रिक्शा चलाकर सवारियां ढोने का काम करते हैं। 20 फरवरी 2023 को हल्का के अमीन उनके घर आए थे। बिजली विभाग की ओर से उनके खिलाफ जारी 6 लाख 70 हजार 927 रुपये की आरसी दी। कहा कि जुर्माना 15 दिनों में जमा करें वर्ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

वह बिजली विभाग के कार्यालय पहुंचे। जहां बताया गया कि उनकी दुकान पर चोरी से बेल्डिंग मशीन चलती पाई गई थी। जिसके चलते जुर्माना लगाया गया है। शकील ने अधिशासी अभियंता को बताया कि वह तो ई-रिक्शा चलाते हैं। उनकी कभी भी बेल्डिंग की दुकान नहीं रही है। साजिश के तहत उनका नाम और पता लिखवाया गया है।

सक्षम अधिकारी से जांच कराने के लिए वसूली प्रमाण पत्र तहसील सहसवान भेजा गया। जिसके बाद से अमीन ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। शकील ने 27 जून 2023 को आइटीआई के अंतर्गत असेसमेंट धनराशि व चेकिंग के संबंध में सूचना मांगी। जो उपलब्ध नहीं कराई गई। अपने अधिवक्ता के माध्यम से 3 अगस्त को नोटिस भेजा। विभाग ने न तो जवाब दिया और न ही समाधान किया।

स्थाई लोक अदालत ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि अगर वादी ने नाम व पता गलत होने की बात कही तो उसकी सही प्रकार से जांच करना चाहिए था। विद्युत विभाग के प्रवर्तन दल ने यह नहीं बताया कि बेल्डिंग मशीन डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स या पैनल से चोरी की जा रही थी। उसके खिलाफ 6 लाख 70 हजार 927 रुपये राजस्व निर्धारण और एक लाख 40 हजार का शमन शुल्क का वसूली प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।

अधिशासी अभियंता अश्विनी कुमार वर्मा ने शपथ पत्र दिया। कोर्ट ने दोनों पक्ष की बहस सुनी और सदस्यों की राय भी ली। कोर्ट ने माना कि विभाग की ओर से जारी आरसी वादी को परेशान करने के लिए मनमाने तरीके से जारी की है। कोर्ट ने शकील का दावा स्वीकार किया। विभाग की ओर से जारी 8 लाख 10 हजार 927 रुपये का वसूली प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया।

आरटीआई में मांगी इन सूचना की नहीं दी जानकारी
- क्या वादी के नाम से कभी कोई कनेक्शन स्वीकृत हुआ था। अगर हां तो किस प्रकृति, कितने भार का, किस तिथि को स्वीकृत हुआ था ?
- विद्युत प्रवर्तन दल द्वारा किस तिथि को चेकिंग की गई ?
- मौके पर अगर विद्युत चोरी करते हुए पाया गया था तो क्या उसकी कोई वीडियोग्राफी की गई थी ?
- क्या चेकिंग टीम द्वारा भली भांति यह जानकारी कर ली थी कि तथाकथित विद्युत चोरी जिस मकान/दुकान पर पाई गई थी, उसका स्वादी वादी है या अन्य कोई ?
- आवेदक का नाम, पता मौके पर किसके द्वारा बताया गया ?
- विद्युत चोरी जिस मकान में पाई गई थी, उसकी चौहद्दी क्या थी ?
- क्या चेकिग टीम पहले से आवेदक को व्यक्तिगत रूप से जानती थी ?
- क्या यह तथ्य सही है कि आवेदक की कोई दुकान नहीं है, वह बैट्री वाला ई-रिक्शा चलाता है?

ये भी पढ़ें- बदायूं: फोरम का आदेश, परिवादी को 4.96 लाख रुपये दे ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी