पीलीभीत: तपिश में नहीं शीतल जल का इंतजाम, नल खराब...वाटर कूलर दे रहे गर्म पानी

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Published By Vikas Babu
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पीलीभीत, अमृत विचार: ढाई लाख से अधिक आबादी वाले शहर में पेयजल संकट दूर करने के दावे नगर पालिका के स्तर से किए जाते हैं। इसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। इन दिनों पड़ रही तपिश और भीषण गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया है। पारा 44 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच रहा है। गर्म हवा के थपेड़े लोगों को बीमार कर रहे हैं।  चेहरे को कपड़े से ढककर लोग सड़कों पर सफर करने को मजबूर है।  मगर, शहर में जिम्मेदारों की ओर से भीड़ वाले इलाकों में प्याऊ की भी व्यवस्था नहीं की गई है।

खरीदारी या फिर अन्य कामकाज के लिए दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचने वाले लोगों को गर्मी में गला तर करने के लिए ठंडा पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। शहर के अधिकांश इलाकों में सरकारी नल खराब पड़े हैं। सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए वाटर कूलर भी बदहाली की मार झेल रहे हैं।  कहीं टोंटियां टूटी हुई है और पानी ही नहीं।  

जहां टोटियों से पानी निकल भी रहा है तो इस भीषण गर्मी उससे प्यास बुझा पाना ही मुनासिब नहीं है। एक तरह से खौलता पानी टोटियों से निकल रहा है।  कहने को तो नगर पालिका की ओर से नये  वाटर कूलर लगवाने के लिए काम शुरू करा दिया गया है। इसके लिए स्थान भी चिन्हित कर लिए गए हैं, लेकिन अभी काम की गति को देखते हुए जल्द राहत मिलने की उम्मीद कम ही है।  

20 रुपये खर्च कर भी शुद्धता की गारंटी नहीं
स्वस्थ रहने के लिए गर्मी में इन दिनों पानी का सेवन अधिक करने की सलाह चिकित्सक भी दे रहे हैं। मगर कामकाज को बाहर निकलने के बाद कहीं पर भी प्याऊ वगैरह का इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसे में बीस रुपये की पानी की बोतल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। उसमें भी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं हे। ब्रांडेड नाम की पानी की बोतलें के नाम पर लोकल पानी कई दुकानों पर बेचा जा रहा है।  ये खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस पर भी जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है।

ज्येष्ठ के बड़े मंगल को मिल पा रही राहत..छह दिन आफत
पीने के पानी की समस्या को लेकर राहगीर  सड़कों पर परेशान से दिखाई देते हैं। मगर, इन ज्येष्ठ माह में सप्ताह के एक दिन जरूर कुछ राहत मिल रही है।  बड़े मंगल को शहर भर में जगह-जगह भंडारे के साथ ही प्याऊ लगाए जा रहे हैं। जिसमें शरबत और शीतल जल का वितरण किया जा रहा है।  

जिम्मेदार भले प्याऊ की व्यवस्था न करा सकें हो, लेकिन समाजसेवी और व्यापारी संगठनों की ओर से सुविधा दी जा रही है। मगर, भीड़ शहर की आबादी व खरीदारी या अन्य काम से पहुंचने वाले ग्रामीण अंचल के लोगों की भीड़ को देखते हुए ये प्रयास भी नाकाफी से साबित हो रहे हैं।

दृश्य एक: मुख्य बाजार
रेलवे स्टेशन रोड पर मुख्य बाजार में इनायत गंज सरकारी स्कूल के पास इंडिया मार्का हैंडपंप लगा है।  मुख्य बाजार का इलाका होने की वजह से भीड़ दिनभर ही नहीं देर रात तक रहती है।  मगर, इस नल से करीब सात माह से पानी की एक बूंद नहीं निकली।  खराब पड़े इस नल को ही सुधार दिया जाता तो कुछ  राहत राहगीरों को मिल पाती। मगर जिम्मेदार इसे लेकर भी बेसुध बने हुए हैं।

दृश्य दो: रामस्वरूप पार्क
मुख्य बाजार के बाद दूसरा सबसे भीड़ वाला इलाका है जेपी रोड। यहां पर बर्तन, सर्राफा, कपड़ा, जूते-चप्पल के साथ ही किराना बाजार है। शहर के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से लोग पहुंचते हैं।  दोपहर के वक्त देहात की ग्राहकी रहती है। दुकानों पर तो पीने के पानी के इंतजाम व्यापारियों की ओर से किए गए हैं। मगर उसका फायदा तो संबंधित दुकान से सामान लेने वाले ग्राहक ही उठा सकेंगे। रामस्वरूप पार्क में लगा इंडिया मार्का नल खराब है। वाटर कूलर लगा हुआ है, उसमें भी पानी नहीं निकलता है।

शहर की पेयजल व्यवस्था को सुधारने के लिए दस नए ठंडे पानी के वाटर कूलर लगवाए जा रहे हैं। इनका काम शुरू भी हो चुका है। खराब हैंडपंप का सर्वे कराकर सूची तैयार कराई जा रही है। जिन्हें जल्द ठीक करवाया जाएगा। संस्थाओं के द्वारा लगाए गए वाटर कूलर को भी ठीक करने के लिए उनसे बात की जाएगी- डॉ. आस्था अग्रवाल, चेयरमैन नगरपालिका

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