पीलीभीत: देवीपुरा गौशाला में खुलने लगी भ्रष्टाचार की परतें..गोवंश पर हुए खर्च का भी हिसाब नहीं! घोटाला कर गए जिम्मेदार
पीलीभीत, अमृत विचार: देवीपुरा गौशाला में मिली लापरवाही के बाद हुई जांचों में अब परत दर परत खुलने लगी हैं। दो सदस्यीय टीम द्वारा की गई जांच में लापरवाही तो सामने आई ही थी, वहीं अब गौशाला में व्यय की गई धनराशि के आडिट में बड़े घोटोले के संकेत मिल रहे हैं। फिलहाल देवीपुरा गौशाला से संबंधित जांच रिपोर्ट अब डीएम को भेजी जा रही है। वहीं अब जिम्मेदारों ने देवीपुरा गौशाला में मिली गड़बड़ी के बाद अब अन्य सभी गोशालाओं की भी हकीकत जानने को सत्यापन कराने का निर्णय लिया है।
जनपद में निराश्रित गोवंशों के आश्रय देने के लिए जिले में 57 गोशालाएं स्थापित की गई है। वर्तमान में इन गोशालाओं में करीब 5548 गोवंश संरक्षित किए गए हैं। इन गोशालाओं में पशुओं के चारे आदि को लेकर एक बड़ा बजट दिया गया है, इसके बावजूद गोशालाओं में अकसर गोवंशों की मौतों के मामले सामने आ रहे हैं।
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यह दीगर बात है कि जब इन गोशालाओं में गोवंश की मौत का मामला सामने आता है तो पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा पशुओं की मौत की वजह शारीरिक रूप से बेहद कमजोर होना बताकर मामले में रफा-दफा कर दिया जाता है। इन्हीं में से एक अकसर सुर्खियों में रहने वाली देवीपुरा गौशाला एक बार सुर्खियों में हैं। नौ जून को हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं की सूचना मिली थी कि रात के अंधेरे में गोवंशो का बेचा जाता है।
इससे गोवंशों की संख्या लगातार कम हो रही है, लेकिन अभिलेखों में संख्या बढ़ाकर दशाई जा रही है। मामले को गंभीरता से लेते हुए सीडीओ धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने दो सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच कराई। जांच टीम में शामिल डिप्टी सीवीओ डॉ. लक्ष्मीप्रसाद एवं बीडीओ मरौरी मृदुला ने मौके पर पहुंचकर जांच की तो उस दौरान पशुओं की संख्या अभिलेख में दर्ज पशु सख्या से कम पाई गई।
वहीं मृत पशुओं के निस्तारण में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जांच टीम ने प्रधान एवं सचिव की लापरवाही पाते हुए जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सीडीओ ने प्रधान एवं सचिव को नोटिस भेज जवाब तलब करने के साथ बीडीओ मरौरी को गौशाला के पूरे स्टाफ को हटाने के साथ नए स्टाफ की तैनाती करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में डीएम संजय कुमार सिंह ने भी सीडीओ से रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
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