पीलीभीत: जंगल कॉरिडोर से खुलेंगे बाघों में जीन परिवर्तन के रास्ते, प्रजाति और आबादी में प्रभावी बढ़ोत्तरी की संभावना
पीलीभीत, अमृत विचार: यदि जंगल में कॉरिडोर के रास्ते व्यवधान रहित होंगे, तो यह बाघों के जीन में परिवर्तन के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इससे बाघों की प्रजाति और संख्या में प्रभावी बढ़ोत्तरी हो सकेगी। इसका खुलासा विश्व प्रकृति निधि-वन विभाग की कॉरिडोर मैनेजमेंट रिपोर्ट में हुआ है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व 73 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पिछले कुछ सालों में बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई है। इसको लेकर पीटीआर 14 देशों को पछ़ाड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय टी एक्स टू अवार्ड भी जीत चुका है। वर्तमान में यहां 71 से अधिक बाघ है। दुनिया में सबसे करिश्माई प्रजातियों में से एक होने के बावजूद बाघों के रहने वाली जगहों के आसपास मानव-वन्यजीव संघर्ष, जंगल से रिहायशी इलाकों में उनके डेरा जमाने जैसे मामले सामने आ रहे हैं। फिलहाल यह सब तो शोध का विषय है।
हाल ही में पीटीआर के स्थापना दिवस पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ एवं वन विभाग द्वारा तैयार किशनपुर-दुधवा टाइगर रिजर्व कॉरिडोर प्रबंधन रिपोर्ट में कहा गया है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व और दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या करिश्माई बढ़ोतरी हो रही है। बाघों के स्वच्छंद विचरण और आवाजाही को लेकर कॉरिडोर मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। इससे बाघ समेत अन्य वन्यजीव एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्वछंद रूप से आ जा सकेंगे। इससे अन्य प्रभावी बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं।
बाघ वैज्ञानिक बोले- वन्यजीवों की स्वछंद आवाजाही जरूरी
कोरोना काल के दौरान पीटीआर के गढ़ा रेंज कॉरिडोर प्रबंधन की रिपोर्ट लांच की गई थी। इसके बाद गत वर्ष छह अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लग्गा-भग्गा, टाटरगंज एवं बराही कॉरिडोर प्रबंधन की रिपोर्ट जारी की गई थी। इधर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ एवं वन विभाग की ओर से तीसरी किशनपुर-दुधवा टाइगर रिजर्व कॉरिडोर प्रबंधन की रिपोर्ट पीटीआर के कुछ दिन पूर्व हुए स्थापना दिवस के दौरान रिलीज की गई। इस दौरान कॉरिडोर मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के बाघ वैज्ञानिक आशीष विष्ठा के मुताबिक बाघ समेत अन्य वन्यजीवों की एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्वछंद आवाजाही बेहद जरुरी है। इसके लिए कॉरिडोर को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। इसके आधारभूत में जाए तो वन्यजीवों में जीन परिवर्तन भी बेहद आवश्यक है। कॉरिडोर प्रबंधन से सजाति प्रजनन (इनब्रीडिंग) के कुप्रभावों से बचाया जा सकता है। इनब्रीडिंग जीन विविधता में कमी, शारीरिक विकृति और प्रजनन समस्याओं को बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर व्यवहार एवं स्वास्थ्य आदि में गिरावट आती है।
कॉरिडोर सुरक्षित होने से आउटब्रीडिंग होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे जीन विविधता होने से बाघों की प्रजाति, स्वास्थ्य एवं उनकी संख्या में प्रभावी बढ़ोत्तरी के संभावना भी बढ़ जाती है। फिलहाल वन अफसरों के मुताबिक सभी कॉरिडोरों को लेकर सुधारात्मक कार्य लगातार कराए जा रहे हैं।
कॉरिडोर को लेकर लगातार सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भी कार्य कराए जाएंगें - मनीष सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर
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