Kanpur: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जैन प्रतिलिपियों को रखा जाएगा सुरक्षित, CSJMU में शुरू हुई विद्यासागर सुधासागर जैन शोधपीठ

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में आचार्य श्री विद्यासागर सुधासागर जैन शोधपीठ की शुरुआत हो गई। गुरुवार को विश्वविद्यालय में हुए समारोह के दौरान शोधपीठ की खासियतें भी बताई गईं। 

इस दौरान बताया गया कि जैन दर्शन के पुराने शोध पत्रों में मौजूद ज्ञान के भंडार को सुरक्षित रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का भी प्रयोग किया जाएगा। वीरांगना लक्ष्मीबाई सभागार में हुए समारोह में दो सत्रों में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो मणींद्र अग्रवाल ने शिरकत की।

समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने की। आईआईटी के निदेशक प्रो मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि भारत का प्राचीन साहित्य जिसे जैन दर्शन में आगम कहा गया है, वह पांडु लिपियों के रुप में इधर-उधर बिखरा पड़ा है, यह पीठ उसको एकत्र कर ओसिआर टेक्नोलॉजी के माध्यम से संरक्षित करने का काम करेगी।

आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर इन प्राचीन साहित्यों के आपसी सम्बन्धों को एआई टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्थापित करने का कार्य करेगी। यह भविष्य के शोध के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। मंत्री असीम अरुण ने कहा विश्व गुरु बनने से पहले विश्व शिष्य बनना जरूरी है। हम अपनी रिसर्च की जबरदस्त मार्केटिंग भी करें, जिससे हम इस रिसर्च को जन-जन तक भेज सकें। उन्होंने कहा कि जैन धर्म हमें त्याग और तपस्या का रास्ता दिखाता है।
 
समारोह के दूसरे सत्र में सभापति प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी वाराणसी, डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत ने जैन सिद्धांत वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सर्वाधिक प्रासंगिक पर अपना वक्तव्य दिया। अतिथि वक्ता डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़, पवन जैन दीवान, डॉ. अंगद सिंह व वीरेन्द्र जैन शास्त्री मौजूद रहे।

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