हाल-ए-एक्सप्रेस-वे: सिर्फ बांगरमऊ क्षेत्र में तीन माह में गई 31 की जान...बड़ी संख्या में लोग हुए घायल

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Published By Nitesh Mishra
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पुलिस व यातायात विभाग के अधिकरियों द्वारा समय-समय पर चेकिंग न किये जाने से होते हादसे

उन्नाव, अमृत विचार। कोतवाली क्षेत्र के लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक नियमों को टूटने, वाहन चालकों की लापरवाही और नशे में वाहन चलाने के चलते बीते तीन माह में चालकों सहित 31 लोगों की अकाल मौत हो चुकी है। यदि वाहन चालकों के नशे में होने की जांच व नियम तोड़ने पर संबंधित यातायात और सिविल पुलिस द्वारा समय-समय पर चालान किए जाते तो हादसों में कमी लाई जा सकती थी। 

बीती गुरुवार देर शाम एक्सप्रेस-वे पर चालक द्वारा तेज रफ्तार व नशे में वाहन चलाने पर पांच युवकों की मौत हो गई थी। जबकि चालक हैलट अस्पताल कानपुर में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।

बीती गुरुवार देर शाम एक्सप्रेस-वे पर तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराकर पलट गई थी। इसमें तीन लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी और दो ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। जबकि जिला अस्पताल से चालक को कानपुर रेफर किया गया था। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। हादसों का यह सिलसिला एक्सप्रेस-वे पर बीते तीन माह से लगातार जारी है। 

इसमें एक सप्ताह पूर्व 10 जुलाई को एक्सप्रेस-वे पर दूध के टैंकर को ग़लत लेन से ओवरटेक करने में एक डबल डेकर स्लीपर बस टैंकर से टकरा गई थी। जिससे बस के दाहिना हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसमें टैंकर के चालक सहित बस में दाहिनी ओर सीटों पर सो रही तीन महिलाओं व दो बच्चों सहित 18 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 19 लोग गंभीर घायल हो गए थे। 

इस भीषण हादसे के मात्र पांच दिन पूर्व छह जुलाई को एक्सप्रेस-वे पर तेज रफ्तार लोडर पलटने से चालक की मौत हो गई थी। इसके अलावा बीती 3 जुलाई को एक्सप्रेस-वे पर गांव गौरिया कलां के सामने ट्रक चालक लघुशंका करने उतरा था। तभी तेज़ रफ़्तार वाहन की टक्कर से चालक की मौत हो गई थी। वहीं बीती 23 जून को एक्सप्रेस-वे पर गांव सबली खेड़ा के सामने तेज रफ्तार अनियंत्रित कार पलटने से चालक की मौत हो गई थी। 

इसके दो दिन पहले गांव जोगीकोट के पास गलत लेन पर चल रहे एक बाइक सवार की मौत हो गई थी। इसके पहले 20 मई को लोडर का पंचर पहिया बदलते समय अज्ञात वाहन ने चालक को रौंद दिया था। जिसमें चालक की मौके पर  मौत हो गई थी। 

वहीं, 20 अप्रैल को एक्सप्रेस-वे पर गांव सबली खेड़ा के सामने हरियाणा से जौनपुर जा रही ट्रैवलर बस तेज रफ्तार के चलते अनियंत्रित होकर पलट गई थी। इसमें तीन यात्रियों की जान चली गई थी। खास बात यह है कि यह सभी हादसे एक्सप्रेस-वे पर स्थित गांव बहलोलपुर से गांव सबली खेड़ा के बीच मात्र 15 किलोमीटर के बीच हुई हैं।

नशा व निर्धारित लेन का उल्लंघन बन रहा मौतों का कारण 

बांगरमऊ लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर अधिकांश हादसे तेज रफ्तार और निर्धारित लेन के उल्लंघन और नशे में वाहन चलाने से हुए हैं। लेकिन, यातायात और सिविल पुलिस की लापरवाही के चलते एक्सप्रेस-वे पर हो रही अकाल मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

अस्पताल को मिला सीएचसी का दर्जा लेकिन, सुविधाएं शून्य 

बांगरमऊ के सरकारी अस्पताल को प्रदेश सरकार द्वारा सीएचसी का दर्जा दिया गया है। इसके बाद भी अस्पताल की व्यवस्थाएं प्राथमिक स्तर के अस्पताल से भी बदतर हैं। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है लेकिन, विभाग द्वारा अभी तक रेडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं किया जा सका है। यहां जीवन रक्षक प्रणाली की भी व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा अस्पताल में आर्थोपेडिक सर्जन भी नहीं है। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों के सामने हादसों के घायलों को जिला अस्पताल रेफर करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।

बांगरमऊ एक्सप्रेस-वे के अलावा उन्नाव-हरदोई मार्ग, बिल्हौर मार्ग व लखनऊ मार्ग पर वाहनों की भरमार रहती है। इसलिए प्रतिदिन किसी न किसी मार्ग पर हादसे होते रहते हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए यहां ट्रामा सेंटर की मांग अरसे से उठती रही है। ट्रामा सेंटर के अभाव में हादसों में गंभीर दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है। यहां के सीएचसी में ट्रामा सेंटर स्थापित हो जाए तो गंभीर घायलों की जान बचाई जा सकती है।

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