बरेली: स्कूल में बच्चियों से छेड़खानी...विभागीय कार्रवाई में निपटा दिया आपराधिक मामला
शब्या सिंह तोमर, बरेली। सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाली आठ से 10 साल की कई बच्चियों से अश्लील हरकतें करने के आरोपी शिक्षक को गुपचुप ढंग से निलंबित कर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने मामला निपटा दिया। एक पीड़ित बच्ची के पिता ने समझौते के लिए दबाव बनाए जाने का आरोप लगाया, फिर भी इस मामले में कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस को सूचना देने के बजाय मामला लीक न होने देने के लिए पूरी ताकत लगा दी गई।
आलमपुर जाफराबाद ब्लॉक के गांव कैमुआ स्थित इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षक के बच्चियों से छेड़खानी करने के मामले का पिछले महीने सामने आया था। इस मामले में चार बच्चियों के अभिभावकों ने स्कूल की प्रधानाध्यापक सुमन से शिकायत की थी। प्रधानाध्यापक के मुताबिक उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को लिखित रूप से सूचना भेजी तो जांच का सिलसिला शुरू हुआ। खंड शिक्षा अधिकारी ने खुद स्कूल पहुंचकर पीड़ित बच्चियों और उनके अभिभावकों से पूछताछ करने के साथ छानबीन की। इसमें प्रारंभिक तौर पर आरोपों की पुष्टि होने के बाद अपनी रिपोर्ट बीएसए को भेज दी।
अभिभावकों का आरोप है कि जांच प्रक्रिया के दौरान ही आरोपी शिक्षक ने मामला रफादफा करने के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया। उन पर समझौते के लिए भी दबाव बनाया जाने लगा। इसकी भी जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी गई, लेकिन इसके बावजूद बीएसए ने इस आपराधिक मामले को शिक्षक के निलंबन की विभागीय कार्रवाई कर निपटा दिया।
कह रहे गांव वाले- दलालों ने रफादफा करा दिया मामला
गांव के लोग आरोपी शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न होने से नाराज हैं। उनका कहना है कि शिक्षक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन आरोपी ने कुछ दलालों की मदद से मामला निपटा लिया। इसी वजह से मासूम बच्चियों से छेड़खानी के इस जघन्य मामले में पुलिस को सूचना नहीं दी गई। शिक्षक को निलंबित भी तब किया गया, जब अभिभावकों ने अपनी बच्चियों को स्कूल न भेजने की बात कही। अब भी आंवला के कुछ रसूखदार लोग उन पर चुप रहने का दबाव बना रहे हैं।
चाइल्ड लाइन की टीम ने भी जांच के बाद कुछ नहीं किया
इस मामले में पिछले सप्ताह चाइल्ड लाइन की टीम भी जांच करने गांव पहुंची थी। बताया जा रहा है कि टीम ने पीड़ित बच्चियों और उनके अभिभावकों के साथ स्कूल की प्रधानाध्यापक से भी पूछताछ की। अभिभावकों ने टीम को पूरा वाकया बताते हुए यह भी कहा कि वह इस मामले खुद कानूनी कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं है। इस कारण उन्होंने अपनी बेटियों को स्कूल न भेजने का फैसला लिया है। चाइल्ड लाइन की टीम ने उन्हें बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए तो समझाया-बुझाया लेकिन खुद कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि पुलिस को सूचना देने की जिम्मेदारी तक नहीं निभाई।
क्यों नहीं कराई एफआईआर...एक-दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी
खंड शिक्षा अधिकारी मुकेश भारती का कहना है कि उन्हें इस मामले में एक सप्ताह पहले सूचना मिली थी। इसके बाद उन्होंने जांच की और 7-8 बच्चियों के बयान लिए। एक बच्ची खुलकर पूरी बात बताई, जिसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट बीएसए को भेज दी थी। इसके बाद आरोपी शिक्षक को निलंबित कर भमोरा में संबद्ध कर दिया है। पुलिस को सूचना देने का काम चाइल्ड लाइन को करना चाहिए था। प्रधानाध्यापक भी यह भूमिका निभा सकती थीं।
प्रधानाध्यापक सुमन का कहना है कि पहली बार में दो जुलाई को एक बच्ची ने अपनी मां के साथ आकर उन्हें छेड़खानी की सूचना दी थी। उन्होंने फौरन रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी थी। इसके बाद चाइल्ड लाइन की टीम जांच करने आई तो उसे भी पूरी बात बता दी थी। उन्होंने अपनी भूमिका निभाने में कोई कोताही नहीं की।
हमें किसी ने नहीं दी सूचना: पुलिस
कैमुआ में ही पुलिस चौकी है जहां सब इंस्पेक्टर लालबहादुर बाल कल्याण अधिकारी के तौर पर तैनात हैं। उनका कहना है कि चौकी स्कूल से आधा किमी ही दूर है। उन्हें सूचना आसानी से दी जा सकती थी। यह काफी गंभीर अपराध है, पुलिस इसमें कार्रवाई जरूर करती लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ चाइल्ड लाइन और अभिभावकों में से किसी ने सूचना नहीं दी। एसएचओ भमोरा ऋषिपाल सिंह ने बताया कि अब तक इस मामले में उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है।
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