रुद्रपुर: धरती निगल गई या आसमान खा गया गरीबों का राशन! आखिर कौन देगा फर्जी 6500 कार्डों का हिसाब?

रुद्रपुर: धरती निगल गई या आसमान खा गया गरीबों का राशन! आखिर कौन देगा फर्जी 6500 कार्डों का हिसाब?

रुद्रपुर, अमृत विचार। जहां एक गरीब व्यक्ति बीपीएल कार्ड बनाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश होता है। वहीं वर्ष 2016-2017 में डीटीएम नाम से आवंटित ऑनलाइन फर्जी दुकानों में करीब 6500 कार्ड जोड़ दिए गए। यह कैसे और किसके इशारे पर हुआ।

इसका खुलासा प्रशासन की जांच में होगा, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि किच्छा, जगतपुरा रुद्रपुर और खटीमा में डीटीएम ऑनलाइन दुकानों का आवंटन किया गया। उसमें जोड़े गए हजारों कार्डों का धरातल पर कोई भी रिकॉर्ड नहीं है और जोड़े गए ज्यादातर कार्ड धारकों को बीपीएल माना गया है। राशन तो उठा, लेकिन बांटा किसको गया। इसका भी कोई रिकार्ड नहीं है।

जिला मुख्यालय स्थित जिला पूर्ति विभाग जहां से केंद्र व राज्य सरकार की खाद्य योजना का संचालन होता है। उसी मुख्यालय से डीटीएम नाम से राशन का घोटाला हो गया। इसकी भनक किसी को नहीं है। यह एक हास्यास्पद है, कारण डीटीएम की पहली दुकान 12 जनवरी 2016, किच्छा में दूसरी दुकान 15 मई 2017 और तीसरी दुकान जगतपुरा में 6 मार्च 2016 को डीटीएम नाम से ऑनलाइन बनाई गई। इसमें जगतपुरा रुद्रपुर में 3005, किच्छा डीटीएम में 2577 और खटीमा में करीब 1000 से अधिक फर्जी राशन कार्ड को बनाकर जोड़ दिया गया।

अब सवाल यह उठता है कि वर्ष 2016 से 2017 में ऑनलाइन राशन वितरण व्यवस्था नहीं थी, महज कोटेधारक का नाम ही चढ़ाया जाता था तो करीब 6500 राशन कार्ड कैसे जोड़ दिया गया। वहीं 90 फीसदी से अधिक पात्रों को बीपीएल की श्रेणी में रखा गया, लेकिन जब राशन घोटाले की जांच प्रारंभ हुई तो पाया कि फर्जी डीटीएम से जोड़े गए कार्डधारकों का धरातल पर मैनुअल रिकार्ड ही नहीं है और जिन नामों को दर्शाया गया है।

उनका कोई अता-पता नहीं है। साथ ही आवंटन में कोई प्रक्रिया, न ही डीएम की अनुमति ली गई। यदि राशन घोटाले की धरातल पर जांच हो तो गरीबों का हक मारने वाले बेनकाब हो सकते हैं और करोड़ों का राशन घोटाला भी सामने निकलकर आएगा।

एक ही नाम का हुआ कई बार प्रयोग

डीटीएम में फर्जीवाड़ा किस कदर हुआ है। इसका उदाहरण जारी सूची में साफ तौर पर नजर आता है। उदाहरण के तौर पर जगतपुरा स्थित डीटीएम की दुकान में अनीता नाम ही महिला का नाम 12 बार प्रयोग किया गया और हर बार यूनिट को बढ़ाया गया है। साथ ही जारी कार्ड संख्या को भी बदल दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि एक ही नाम की महिला का 12 बार कार्ड बनाकर क्यों जारी किया गया। जब वास्तविकता में अनीता नाम की महिला है ही नहीं। यही नहीं करीब 6500 जोड़े गए कार्डों में कई बार एक ही नाम से राशन वितरण हुआ है।

2012 से शुरू हुआ खेल 2017 तक चला

किच्छा, खटीमा व जगतपुरा रुद्रपुर में ऑनलाइन बनाई गई डीटीएम नाम की दुकानों में ऑनलाइन राशन कार्ड जोड़ने का खेल 12 सितंबर 2012 से शुरू हुआ और 16 जनवरी 2016 तक चला। साथ ही निरंतर कार्डों को जोड़ने की प्रक्रिया हुई और जब 6500 के करीब राशन कार्ड को जोड़ दिया गया। उस वक्त डीएसओ की जिम्मेदारी विपिन कुमार संभाल रहे थे। उन्हें भी इसकी कोई जानकारी नहीं है। 

डीटीएम नाम से ऑनलाइन हजारों राशन कार्ड जोड़ने का प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है। संज्ञान में आने के बाद वह उसकी खुद जांच करवाएंगे, लेकिन वर्ष 2016 से 2017 में मैनुअल कार्य ही होता था और ऑनलाइन राशन वितरण प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई थी। ऐसे में ऑनलाइन हजारों कार्डों को जोड़ने का कोई औचित्य नहीं है। उस वक्त उनके कार्यकाल में भी इसकी जानकारी नहीं हुई और जब जानकारी हुई तो दुकान डिलीट कर दी थी। यह समझ कर कि भूलवश कर्मी द्वारा जोड़ दी होगी। बावजूद प्रकरण की जांच कराई जाएगी।

-विपिन कुमार, डीएसओ, ऊधमसिंह नगर