World Lung Cancer Day: 85 प्रतिशत मामलों में धूम्रपान बन रहा फेफड़ों के कैंसर का कारण, साल 2020 में 22 लाख नए मरीज आए थे सामने
दुनिया भर में हर साल 18 लाख लोगों की चली जाती है फेफड़ों के कैंसर से जान
लखनऊ, अमृत विचार। विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस हर साल पूरी दुनिया में आज के दिन यानी 1 अगस्त को मनाया जाता है इस दिन को मनाने के पीछे फेफड़े का कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना है। फेफड़े का कैंसर होने के कई कारण है लेकिन सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। लगभग 85 फ़ीसदी लोग धूम्रपान की वजह से ही इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आते हैं, इसके अलावा रेडॉन गैस, पर्यावरण में विषाक्त गैस वा पदार्थ का होना और आनुवांशिक कारण जिम्मेदार होते हैं।
यह जानकारी किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थित पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर वेद प्रकाश ने दी है। डॉ वेद प्रकाश के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा स्तन, मुंह और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर होता है, फेफड़ों का कैंसर चौथे नंबर पर आता है,लेकिन दुनिया भर में यह दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है, साल 2020 में फेफड़ों के कैंसर के 22 लाख नए मरीज सामने आए थे। हर साल लगभग 18 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित होने की वजह अपनी जान गंवा देते हैं।
महिलाओं में भी बढ़ रहा फेफड़े का कैंसर
डॉ वेद प्रकाश के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फेफड़े का कैंसर अधिक होता है, लेकिन आजकल यह देखा जा रहा है कि महिलाओं में भी फेफड़ों के कैंसर की दर बढ़ रही है। जिसका एक कारण महिलाओं में धूम्रपान की बढ़ती लत है। भारत में प्रति लाख व्यक्तियों में 7.6 पुरुष और 2.1 महिलाएं फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित है। लोगों को बीमार करने में धूम्रपान का बड़ा योगदान है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, खाना पकाने के ईंधन, वायु प्रदूषण तथा जेनेटिक कारण भी फेफड़े का कैंसर का जोखिम बढ़ा रहे हैं।
फेफड़ों के कैंसर का लक्षण
डॉक्टर वेद प्रकाश ने बताया कि लगातार खांसी रहना, खसते समय खून आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गला बैठना, वजन घटना, भूख न लगना, थकान, बार-बार संक्रमण होना, चेहरे या गर्दन में सूजन,हड्डी में दर्द और सिर दर्द यह सभी लक्षण फेफड़ों के कैंसर की बीमारी में सामने आते हैं।
कारण विस्तार से
- धूम्रपानः फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण, लगभग 85 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। सिगरेट के धुएं में कार्सिनोजेन्स होते हैं जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं।
2. सेकेंडहैंड धुआंः सेकेंडहैंड धुएं के संपर्क में आने से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. रेडॉन एक्सपोजरः रेडॉन, एक प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली रेडियोधर्मी गैस है जो कि कुछ औद्योगिक उद्यमों में इस्तेमाल होता है और फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
4. एस्बेस्टस एक्सपोजरः अक्सर व्यावसायिक परिवेश में एस्बेस्टस धातु का साँस द्वारा अंदर जाता है और फेफड़ों के कैंसर करा सकता है।
5. अनुवांशिक कारण भी फेफडे के कैंसर के लिए जिम्मेंदार है।
6. वायु प्रदूषणः बाहरी वायु प्रदूषण, विशेष रूप से सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
7. पुरानी फेफड़ों की बीमारीः क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), टीबी और पिछले फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियां भी फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
8. व्यावसायिक जोखिमः कार्यस्थल में कुछ रसायनों और पदार्थों, जैसे आर्सेनिक, क्रोमियम, में निकिल और डीजल निकास के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
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