खनिजों का महत्व
दुनिया स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल चमत्कारों द्वारा संचालित भविष्य की ओर बढ़ रही है। भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था उन प्रौद्योगिकियों पर आधारित होगी जो लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम और दुर्लभ जमीनी तत्वों जैसे खनिजों पर निर्भर हैं। महत्वपूर्ण खनिज देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। ऊर्जा परिवर्तन और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए महत्वपूर्ण खनिजों का महत्व बढ़ गया है।
केंद्रीय बजट 2024-25 में भी ऊर्जा सुरक्षा को एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में चिह्नित किया गया है, जहां लिथियम सहित विभिन्न महत्वपूर्ण खनिजों के लिए लक्षित सीमा शुल्क छूट का प्रस्ताव किया गया है। महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता की कमी या कुछ भौगोलिक स्थानों में उनके निष्कर्षण या प्रसंस्करण की एकाग्रता से आपूर्ति श्रृंखला में कमजोरी और यहां तक कि आपूर्ति में व्यवधान भी हो सकता है। इसके अलावा खनन क्षेत्र में प्रमुख सुधार के लिए महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है।
संशोधन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और कनिष्ठ खनन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी वातावरण मिलने के लिए आवश्यक था। इससे महत्वपूर्ण और गहराई में प्राप्त होने वाले खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस की शुरुआत हुई। बारह परमाणु खनिजों की सूची से छह खनिज लिथियम, बेरिलियम, टाइटेनियम, निओबियम, टैंटलम और जिरकोनियम को हटा दिया गया है। ये खनिज प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनका उपयोग अंतरिक्ष उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रौद्योगिकी और संचार, ऊर्जा क्षेत्र, इलेक्ट्रिक बैट्री में किया जाता है और शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने में भारत की प्रतिबद्धता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इन खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाने पर खनिजों की खोज और खनन निजी क्षेत्र के लिए खुल जाएगा। परिणामस्वरूप देश में इन खनिजों की खोज और खनन में उल्लेखनीय वृद्धि का रास्ता बना। साथ ही देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और कनिष्ठ खनन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी वातावरण मिला।
गौरतलब है कि भारत महत्वपूर्ण खनिजों के प्रति अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाकर आर्थिक प्रगति को पर्यावरण संरक्षण के साथ बेहतर ढंग से संरेखित कर सकता है और सतत ऊर्जा एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर वैश्विक संक्रमण के बीच अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है। भारत को महत्वपूर्ण खनिज संबंधी कूटनीतिक प्रयासों को तेज करना चाहिए और संसाधन संपन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी स्थापित करनी चाहिए। महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा भारत की भू-राजनीतिक स्थिति और सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाएगी।
