Moradabad News : बूढ़ी होकर बीमार हैं एंबुलेंस, रफ्तार में निकल रहा दम...टॉयर घिसकर हो गए क्षतिग्रस्त
सेहत से खिलवाड़...102 वाली गाड़ियों में कई एंबुलेंस पांच लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं, कई गुना बढ़ी आबादी पर नहीं बढ़ाई गई एंबुलेंस की संख्या
मुरादाबाद, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद एंबुलेंस की लंबी आयु हो गई है। उनका अब रफ्तार भरने में भी दम निकलने लगा है, लेकिन फिर भी उन्हें दौड़ाया जा रहा है। टॉयर घिसकर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इंजन भी बेदम हो चुका है। जिले में 108 नंबर वाली 30 और 102 वाली 24 एंबुलेंस हैं। जो वर्तमान में रोगियों की सेवा में लगी हैं। लेकिन इनमें कई एंबुलेंस ऐसी हैं जिनका दम निकल चुका है पर उन्हें रोगियों की सेवा में किसी तरह से घसीटा जा रहा है। दूसरी बात ये है कि एंबुलेंस की सुविधा करीब 9-10 साल पहले शुरू हुई थी, उस समय आबादी के हिसाब से जिले को एंबुलेंस मिली थीं। तब से इनकी संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। कंडम घोषित होने के बाद उनकी जगह कुछ नई एंबुलेंस जरूर मिल गई।
जिला अस्पताल में 19 कंडम एंबुलेंस आज भी खड़ी हैं। इसमें 102 वाली 10 एंबुलेंस और 108 वाली नौ गाड़ियां हैं। जिले में एंबुलेंस का संचालन जीवीके नामक संस्था करती है। इसके प्रबंधक नरेंद्र कुमार का कहना है कि 108 और 102 वाली जो एंबुलेंस चल भी रही हैं, उनमें भी कई गाड़ियां बदले जाने की दशा में हैं। लेकिन, नई गाड़ी मिलने तक इन्हीं से काम लिया जा रहा है।
उन्हाेंने बताया कि 102 एंबुलेंस की तीन गाड़ियां बदली जानी हैं, यह पांच लाख किमी से अधिक सफर तय कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस की सुविधा चालू होने से अब तक जनसंख्या में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिए और अधिक एंबुलेंस की जरूरत है। इसके लिए कई बार उन्होंने भी उच्च स्तर पर बात रखी है। उन्हाेंने बताया कि 108 एंबुलेंस का मानक एक लाख की आबादी पर एक गाड़ी का है।
दावा : 7.59 मिनट में रोगी तक पहुंच रही 108
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. प्रवीन श्रीवास्तव ने उदाहरण के तौर पर जिले में जून महीने में 108 एंबुलेंस की प्रगति बताई। कहा, जिले से कुल 6953 लोगों की कॉल प्राप्त हुई। जिसमें 6807 लोगों को एंबुलेंस की जरूरत पाई गई। कुछ ने अन्य साधन मिलने पर एंबुलेंस से अस्पताल जाने को मना कर दिया। उन्होंने दावा किया है कि एंबुलेंस को रोगी तक पहुंचने में औसतन 7.59 मिनट का समय लग रहा है। इसी तरह उन्होंने 102 वाली एंबुलेंस की प्रगति के बारे में जानकारी दी कि जून महीने में 102 एंबुलेंस के संबंध में जिले को 10,559 कॉल प्राप्त हुए हैं। इसमें 10,339 कॉल एंबुलेंस की जरूरत वाले पाए गए हैं।
एंबुलेंस ने 6,292 महिला रोगियों को अस्पताल पहुंचाया है। शेष मामलों में संबंधित व्यक्ति ने अन्य साधन की व्यवस्था होने से एंबुलेंस के प्रयोग से इनकार किया है। इसी तरह 4,047 मामलों में एंबुलेंस महिला रोगी के स्वस्थ होने पर उसे अस्पताल से घर छोड़ी है। उन्होंने दावा किया कि एंबुलेंस को रोगी तक पहुंचने में औसतन 6.34 मिनट का समय लग रहा है। वैसे 102 वाली गाड़ी के लिए शहरी क्षेत्र में कॉल समाप्त होने के 20 मिनट एवं ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट में एंबुलेंस को रोगी तक पहुंचाने का नियम है। एंबुलेंस को प्रति दिन 8 ट्रिप्स किया जाना अनिवार्य किया गया है।
यह है नियम
- जरूरतमंद की कॉल समाप्त होने के 15 मिनट के अंदर एंबुलेंस का रोगी तक पहुंचना है।
- प्रत्येक एंबुलेंस का औसतन प्रति दिन 5 ट्रिप्स (रोगी को अस्पताल लाना) किया जाना जरूरी है।
- ऑफरोड एंबुलेंस औसत अधिकतम सीमा को कुल एंबुलेंसों की संख्या के पांच प्रतिशत से कम होना चाहिए।
- निरीक्षण के समय उपकरण या कंज्यूमेबिल्स अनुपलब्ध/अक्रियाशील पाए जाने पर प्रति उपकरण के हिसाब में जुर्माना लगेगा।
नियम के विपरीत एंबुलेंस के संचालन पर जुर्माना आदि की कार्रवाई संचालक संस्था के विरुद्ध प्रदेश स्तर से हाेती है। इसलिए यह बताना मुश्किल है कि इस वर्ष में कितनी एंबुलेंस के संबंध में संचालक संस्था के विरुद्ध जुर्माना आदि की कार्रवाई हुई है। -डॉ. प्रवीन श्रीवास्तव, जिला सर्विलांस अधिकारी
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