पड़ोस में अशांति

  पड़ोस में अशांति

पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण विवाद के चलते एक बार फिर से हिंसा ने तेजी पकड़ ली है। रविवार को हुई हिंसक झड़प में 32 से अधिक लोगों की मौत हो गई। बांग्लादेश में छात्र सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे है। जबकि बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने विरोध प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार विवादास्पद कोटा को काफी कम कर दिया।

प्रदर्शनकारियों की मांग में हिंसा में फंसे पुलिस अधिकारियों के लिए सजा और गृहमंत्री का इस्तीफा भी शामिल है। एक ओर प्रदर्शनकारियों और दूसरी ओर सुरक्षा बलों और सत्तारूढ़ अवामी लीग की छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों में अब तक देश भर में  200 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने कहा कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र, नहीं बल्कि आतंकवादी हैं । उधर  प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री हसीना के वार्ता के निमंत्रण को खारिज कर दिया। 

गौरतलब है कि आरक्षण के तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। सरकार का आरोप है कि घातक विरोध प्रदर्शन के पीछे जमात-ए-इस्लामी है और सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने की योजना की घोषणा की है। जमात, जो पहले से ही चुनाव नहीं लड़ सकती है, नए प्रतिबंध के तहत सार्वजनिक सभाएं आयोजित करने में भी सक्षम नहीं होगी। सरकार ने दावा किया कि इस कदम का उद्देश्य हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करना है। दरअसल हाल के विरोध प्रदर्शनों में जमात की कथित भूमिका की बारीकी से जांच की जानी चाहिए।

हालांकि प्रधानमंत्री पहले ही हिंसा की न्यायिक जांच का वादा कर चुकी हैं। महत्वपूर्ण है कि जांच तेजी से, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाए ताकि आम बांग्लादेशियों और भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर में इसकी वैधता बनी रहे, जो देश में हाल की घटनाओं से चिंतित है। देश में हिंसा का जो भयावह दौर चल रहा है, उस पर रोक लगाने के लिए बांग्लादेश सरकार को देश के लिए महत्वपूर्ण क्षण में अपने दृष्टिकोण पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। इसकी शुरुआत विशेषकर युवा प्रदर्शनकारियों की बात सुनकर हो सकती है।