जामताड़ा के शातिर पलक झपकते ही उड़ा देते थे लाखों रुपये...कानपुर पुलिस ने चार शातिरों को किया गिरफ्तार, इन राज्यों में वारदात की बात कबूली

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Published By Nitesh Mishra
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जामताड़ा के अंतर्राज्यीय चार शातिर ठग गिरफ्तार

कानपुर, अमृत विचार। उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में ग्रीन गैस व इंद्रप्रस्थ गैस कनेक्शन धारक और इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन धारकों से साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम देने वाले चार शातिर साइबर ठगों को साइबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। आरोपी धोखाधड़ी करके उनके खातों से लाखों रुपये की निकासी कर रहे थे। 

डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने खुलासा करते हुए बताया कि 17 जुलाई को वादी रविंद्र सिंह नेगी निवासी नवीन नगर ने 48,332 रुपये की ठगी होने पर साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद शातिरों की गिरफ्तारी के लिए एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर, एसीपी क्राइम मोहम्मद मोहसिन की टीमें गठित की गई। 

इसके बाद 04 अंतर्राज्यीय शातिर साइबर अपराधी भरत कुमार मंडल निवासी ग्राम दारवे जगदीशपुर थाना बुडई जिला देवघर झारखंड जो वर्ष 2020 में हरियाणा में वर्ष 2022 में देवघर झारखंड से साइबर अपराध के मुकदमों में जेल जा चुका है। 

वहीं दूसरा सनोज मंडल और तीसरा शातिर दीपक मंडल निवासी ग्राम मुरलीडी थाना करमाटांड जिला जामताड़ा झारखंड और कृष्ण कुमार मंडल निवासी ग्राम देवलवाडी थाना करमाटांड जिला जामताड़ा झारखंड को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और लोकेशन के आधार पर जाजमऊ पुल के पास से गिरफ्तार किया गया। 

डीसीपी के अनुसार शातिरों के पास से घटनाओं में प्रयोग किया जाने वाले 12 मोबाइल फोन और फर्जी आईडी के प्री-एक्टीवेटेड सिम कार्ड बरामद हुए हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी किए जाने के लिए पुलिस टीमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम रवाना की जा रही हैं।

एपीके फाइल भेजकर कर लेते थे धोखाधड़ी 

डीसीपी के अनुसार शातिर देश स्तर पर विभिन्न प्रदेशों उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक के रहने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते थे। शातिर आम लोग जिन्होंने ग्रीन गैस, इंद्रप्रस्थ गैस व इलेक्ट्रीसिटी कनेक्शन ले रखे हैं, उनके मोबाइल नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से विशेष रूप से बनाई गई (एपीके) फाइल को भेज कर उनसे संबंधित महत्वपूर्ण डाटा प्राप्त कर उनके बैंक खातों से ऑनलाइन बैंकिंग तथा पेमेंट वॉलेट एप की मदद से उनके सारे रुपये धोखाधड़ी करके निकाल लिए जाते हैं।

कई राज्यों के एटीएम से शातिर करते निकासी 

शातिर ठगी से प्राप्त रुपयों को बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम स्थित विभिन्न एटीएम से कैश निकासी कर लेते हैं। अपने गिरोह से जुड़े अन्य साथियों की मदद से इलेक्ट्रीसिटी बिलों व मोबाइल रिचार्ज और पेट्रोल पंप पर धोखाधड़ी के रुपयों को ट्रांसफर करके करीब 70% भुगतान कैश में प्राप्त करते हैं, तथा  आपस में अपने-अपने हिस्से का बंटवारा कर लेते हैं। 

अलग-अलग सिम कार्ड का करते थे इस्तेमाल

लोकेशन चिन्हित न हो पाए इसलिए शातिर मधुबनी बिहार में किराए के कमरा लेकर रह रहे थे और हर हफ्ते स्थान बदल-बदल कर होटल में कमरा लेकर विशेष रूप से दरभंगा, सिलीगुड़ी, डार्जलिंग, गंगटोक में रहते थे और विभिन्न फर्जी आईडी के मोबाइल सिम कार्ड का प्रयोग करके विभिन्न मोबाइल डिवाइसों को बदल-बदल कर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम देते थे। 

डीसीपी के अनुसार मोबाइल सिम नंबरों के आधार पर साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल 1930 से इस बात की जानकारी हुई कि उनके द्वारा उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से लखनऊ, आगरा व कानपुर में कई लोगों के साथ साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया गया है।

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