प्रयागराज : मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुई शादी में दहेज की मांग संदेहास्पद

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के अपराध के एक आरोपी को जमानत देते हुए यह माना कि मृतिका का विवाह राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई सामूहिक विवाह योजना के तहत याची के साथ संपन्न हुआ था। कोर्ट ने यह भी देखा कि दहेज की मांग कभी भी याची या उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा नहीं उठाई गई थी।

कोर्ट ने मामले के अन्य पहलुओं पर विचार करते हुए पाया कि सह अभियुक्त को पहले ही जमानत दे दी गई है। इसके अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतिका के शरीर में एल्युमिनियम फॉस्फेट की पहचान की गई है, जिससे पता चलता है कि मृतिका की मौत संभवतः उक्त रसायन के सेवन से हुई। अतः यह आत्महत्या का मामला बनता है। शव परीक्षण से मृतिका के शरीर पर कोई बाहरी या आंतरिक चोट का पता नहीं चला। इसके साथ ही मृतिका की मृत्यु से पहले दहेज की मांग या क्रूरता के लिए अभियुक्त के खिलाफ कोई पूर्व आपराधिक शिकायत नहीं की गई थी।

अंत में न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकलपीठ ने याची (सत्येंद्र) के अधिवक्ता के तर्कों को स्वीकार करते हुए याची को एक व्यक्तिगत बांड और संबंधित न्यायालय की संतुष्टि के लिए दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने की शर्त पर जमानत दे दी। मामले के अनुसार  याची और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के विरुद्ध आईपीसी और दहेज प्रतिषेध अधिनियम,1961 की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन बहजोई, जिला संभल में मृतिका के पिता द्वारा 21 जून 2023 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। प्राथमिकी के अनुसार याची और उसके परिवारीजन पर यह आरोप था कि उन्होंने मृतिका से एक मोटरसाइकिल और अतिरिक्त दहेज की मांग की थी।

 

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