हल्द्वानी: जिला प्रशासन की काहिली - 44 बेसमेंट में से 32 में पार्किंग के बजाय चल रही दुकान-गोदाम

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। जिला प्रशासन की काहिली इस कदर है कि बिल्डर्स में नियमों के पालन को लेकर कोई डर नहीं है। व्यावसायिक मानचित्र पास करते वक्त तो विभाग खूब कवायद कराता है, पर भवन बनने के बाद उधर झांकता तक नहीं। यही वजह है कि बिल्डर/कारोबारी नक्शे में धड़ल्ले से मनमुताबिक फेरबदल कर भवन का उपयोग करते हैं।

दिल्ली कोचिंग हादसे के बाद अमृत विचार ने व्यावसायिक भवनों के बेसमेंट के स्वीकृत मानचित्र के विपरीत व्यावसायिक उपयोग का मामला उठाया था। मंडलायुक्त दीपक रावत ने इसका संज्ञान लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को शहर के व्यावसायिक भवनों के प्रत्येक बेसमेंट की जांच के निर्देश दिए थे। सर्वे के लिए निकले प्राधिकरण को अब मुख्य मार्गों पर व्यावसायिक भवनों के बेसमेंट में पार्किंग के इतर उपयोग दिखाई दिए हैं। कुल 44 बेसमेंट में से 32 में पार्किंग स्वीकृत है, लेकिन वहां बनी हैं दुकानें-गोदाम। 

जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल व संयुक्त सचिव एपी बाजपेयी की निगरानी में जेई आरएल भारती व एएई राजेंद्र कुमार ने 6 से 8 अगस्त तीन दिन में नैनीताल रोड स्थित एसबीआई भवन से कॉलटैक्स तिराहे तक व्यवसायिक भवनों के बेसमेंट की चेकिंग की। लगभग पांच-छह किमी के दूरी में 128 व्यवसायिक भवनों का सर्वे किया जिनमें 44 में बेसमेंट मिला। इन भवनों में स्वीकृत नक्शे में तो पार्किंग पास कराई गई थी लेकिन मौके पर सिर्फ 12 बेसमेंट में ही पार्किंग मिली। वहीं, 32 भवनों में बेसमेंट का इस्तेमाल पार्किंग के लिए नहीं किया जा रहा था। इस पर डीडीए की ओर से सभी को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। 

बिल्डर्स दुकानें बेच गए, लोग परेशान
हल्द्वानी : सूत्रों की मानें तो जिन बिल्डर्स ने भी कांपलेक्स बनाए बेसमेंट में पार्किंग दर्शाकर मानचित्र स्वीकृत करा लिया। फिर सांठगांठ कर बेसमेंट में शोरूम, दुकान, गोदाम के लिए बेच कर चले गए। बिल्डर्स ने दुकानें, बेसमेंट बेच दी अब खरीदार परेशान हो रहे हैं। 

मंडलायुक्त के आदेश ठेंगे पर, किसी भी भवन में नहीं थी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था 
मंडलायुक्त दीपक रावत भूमिगत जल स्तर बढ़ाने और बारिश के जल के संचय के लिए व्यवसायिक भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के निर्देश दिए हैं। 27 जून जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की बैठक में भी उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य करने के निर्देश दिए थे। हालत यह है कि 128 में से किसी भी भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं थी जबकि मानचित्र स्वीकृत करते समय यह   अनिवार्य रूप से लागू करना होता है। अब रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए डीडीए की ओर से नोटिस भेजे जा रहे हैं।

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