किम जोंग उन ने देखा दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम नए ड्रोन का प्रदर्शन, अमेरिका ने सैन्य अभ्यास किया 

किम जोंग उन ने देखा दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम नए ड्रोन का प्रदर्शन, अमेरिका ने सैन्य अभ्यास किया 

सियोल। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम नए विस्फोटक ड्रोन का प्रदर्शन देखा। सरकारी मीडिया ने सोमवार को यह जानकारी दी। वहीं, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किया। उत्तर कोरिया की परीक्षण संबंधी तस्वीरों में एक सफेद ड्रोन दिख रहा है जिसका पिछला हिस्सा ‘एक्स’ आकार का है और उसके पंख कथित तौर पर दक्षिण कोरिया के मुख्य के-2 युद्धक टैंक जैसे दिखने वाले लक्ष्य से टकराकर उसे नष्ट करते नजर आ रहे हैं। अधिकतर लड़ाकू ड्रोन लक्ष्य से दूर खड़े होकर मिसाइलें दागते हैं। 

उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा कि शनिवार को परीक्षण किया गया जिसमें विभिन्न प्रकार के ड्रोन शामिल थे, जिन्हें सतह और समुद्र में विभिन्न रेंज तक दुश्मन के लक्ष्य को निशाना बनाने तथा लक्ष्य को सटीक तरीके से भेदने के बाद विभिन्न मार्ग की उड़ान भरने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। केसीएनए ने कहा कि परीक्षण के बाद किम ने अपने देश को युद्ध की आशंका के मद्देनजर तैयार रहने के लिए विस्फोट करने में सक्षम, पानी के नीचे लक्ष्य की टोह लेने में सक्षम अथवा हमला करने वाले ड्रोन के विकास को बढ़ावा देने का संकल्प जताया। 

उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की सेना को ‘‘जितनी जल्दी हो सके, उन्नत ड्रोन से लैस किया जाना चाहिए’’। उत्तर कोरिया का यह ड्रोन परीक्षण ऐसे वक्त हुआ हे जब अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेना ने बड़े पैमाने पर उलची फ्रीडम शील्ड अभ्यास किया, जो बृहस्पतिवार से जारी है। अभ्यास का फोकस उत्तर कोरिया की धमकियों के खिलाफ तैयारी करना था। तीन दिवसीय अभ्यास सोमवार को शुरू हुआ। दक्षिण कोरिया की वायुसेना ने कहा कि अभ्यास की शुरुआत सटीक बमबारी प्रदर्शन के साथ हुई जिनमें दक्षिण कोरिया का एफ-35 और एफ-16 लड़ाकू विमान शामिल था। 

अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने एक अलग जल-थल लैंडिंग अभ्यास शुरू किया जिसमें अमेरिका के यूएस एफ-35 लड़ाकू एवं जल-थल युद्धक जहाज यूएसएस बॉक्सर समेत दोनों देशों की नौसेनाओं और मरीन के कई विमान तथा जहाज शामिल थे। दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि सांगयोंग अभ्यास सात सितंबर तक जारी रहेगा। इसका उद्देश्य युद्ध संबंधी अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है। 

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